श्रीगणेश- स्तुति
गाइये गनपति जगजगबंदन।संकर-सुवन भवानी-नंदन।।१।। सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक।कृपा-सिंधु, सुन्दर, सब लायक।।२।। मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।।३।। माँगत तुलसिदास कर जोरे।बसहिं रामसिय मानस मोरे।।४।।(गोस्वामी
गाइये गनपति जगजगबंदन।संकर-सुवन भवानी-नंदन।।१।। सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक।कृपा-सिंधु, सुन्दर, सब लायक।।२।। मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।।३।। माँगत तुलसिदास कर जोरे।बसहिं रामसिय मानस मोरे।।४।।(गोस्वामी
ऐसी सत्य घटना साझा कर रहे हैं, जिसे पढ़ते ही हृदय भगवान के लिए व्याकुल हो जाये..?? दिनांक: 1 नवंबर
श्री रामाय नमः देखरावा मातहि निज अद्भुत रूप अखंड।रोम रोम प्रति लागे कोटि कोटि ब्रह्मंड।। अगनित रबि ससि सिव चतुरानन।बहु
भाव का भूखा हूँ मैं और भाव ही एक सार है।भाव से मुझको भजे तो भव से बेड़ा पार है।।भाव
साधना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण यह है कि जैसे-जैसे साधना प्रगाढ़ होती जाती है, वैसे-वैसे साधक के मन में
तुलसी
दासजी के राम' केवल दो लोगों का आतिथ्य स्वीकार करते हैं
रामचरितमानस देखें तो वनवास की अपनी महायात्रा के मध्य ‘ तुलसीदासजी के राम’ केवल दो लोगों का आतिथ्य स्वीकार करते
भगवान परशुराम जी का सुंदर चित्र जब वह अपनी नन्दिनी को आतताईयों से छूडाकर लाते हैं… सबसे बड़े गौ रक्षक
7 दिवस = 1 सप्ताह ■ 4 सप्ताह = 1 माह , ■ 2 माह = 1 ऋतू ■ 6
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।भूषन
जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये