भगवन सलाह नहीं साथ चाहिए
आज का प्रभु संकीर्तन।*मनुष्य योनि में जन्म लेकर हम एक सुन्दर समाज से जुड़ जाते हैं जिसमे रिश्ते,नातो के अतिरिक्त
आज का प्रभु संकीर्तन।*मनुष्य योनि में जन्म लेकर हम एक सुन्दर समाज से जुड़ जाते हैं जिसमे रिश्ते,नातो के अतिरिक्त
श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदार सर्वापत्तीनिवारण।ऋषिकेश नमस्तुभ्यं त्राहि
गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद
नारद उवाचप्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये।।१।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।२।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव
यह मन्त्र संसार का वशीकरण कर सर्वसिद्धि देने वाला है । मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद
बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजन क्यों किया जाता है? भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन उत्सव कैसे मनाया गया?
प्रभु प्रसाद सूचि सुभग सुबासा।सादर जासु लहइ नित नासा।। तुम्हहि निबेदित भोजन करहीं।प्रभु प्रसाद पट भूषन धरहीं।। सीस नवहिं सुर
आरती रघुवर लाला की, सांवरिंया नैन विशाला की।कमल कर धनुष बाण धारे,सैलोने नैना रतनारे, छवि लख कोटी काम हारे,अलक की
श्रीभगवानुवाच।ऒँ नमो भगवते महा पुरुषायसर्वगुणसङ्ख्यानायानन्तायाव्यक्ताय नम इति।।१।। भजे भवान्या रणपादपङ्कजंभगस्य कृत्स्नस्य परं परायणम।भक्तेष्वलं भावितभूतभावनंभवापहं त्वा भवभावमीश्वरम।।२।। न यस्य मायागुणचितवृत्तिभिर्निरीक्षतो ह्यण्वपि
सचिव सत्य श्रद्धा प्रिय नारी।माधव सरिस मीतु हितकारी।। चारि पदारथ भरा भँडारु।पुन्य प्रदेस देस अति चारु।। छेत्रु अगम गढु गाड़