
प्राण जीवन शक्ति
प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,

प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,

“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही

चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं- सावन, भादों, क्वार, कार्तिक। (श्रावण, भाद्र, अश्विन, कार्तिक-मास) चातुर्मास से जुड़ी पौराणिक

जब महात्मा गोकर्ण जी ने महाप्रेत धुंधुकारी के उद्धार के लिए श्रीमद् भागवत की कथा सुनायी थी, तब धुंधुकारी के

सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है

हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं। और रावण उनका कुछ नहीं कर

यह मंत्र आत्मा की ऊर्जा को शुद्ध करने और माँ दुर्गा के प्रति विश्वास और समर्पण को बढ़ावा देने का

एक बहुत ही मशहूर महात्मा थे। उनके पास रोज ही बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आते थे। एक बार

बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंग. गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानस में चार ऐसी स्त्रियों का अलग अलग स्थान पर

बोधकथा एकादशी की रात्रि में श्रीनामदेवजी के घर अखण्ड कीर्तन होता था । भगवान सूर्य के अस्ताचलगामी होते ही जनाबाई