
श्रीरुद्रद्वादशनाम स्तोत्रम्
प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरं।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामङ्गनाशनं।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं

प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरं।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामङ्गनाशनं।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं

कष्ट के अनुसार किसी भी एक या तीनों मन्त्रों की नित्य एक या अधिक माला जप करें, अवश्य ही शांति

गायत्री महामंत्र ‘ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।’ यही सच है कि इस दुनिया में

श्री यमुनाजी भक्तिका स्वरुप है, और भक्ति के प्रकार भी नव है । श्री यमुनाष्टक भी नव श्लोक में है

आज का प्रभु संकीर्तन।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मेरे सच्चे भक्त वही होते हैं जो कुछ लेने में नही देने

ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।। ॐ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो

।। नमो राघवाय ।। जुबतीं भवन झरोखन्हि लागीं।निरखहिं राम रूप अनुरागीं।। कहहिं परसपर बचन सप्रीती।सखि इन्ह कोटि काम छबि जीती।।

अगर विवाह में भी विलंब हो रहा है या कोई बाधा आ रही है या फिर योग्य जीवनसाथी नहीं मिल

ॐ अस्य श्रीरामदुर्गस्तोत्रमन्त्रस्य कौशिक ऋषिरनुष्टुप्छन्दःश्रीरामो देवता रां बीजं नमः शक्ति रामाय कीलकम् श्रीराम प्रसादसिद्धि द्वारा मम सर्वतो रक्षापूर्वक नाना प्रयोग