श्याम सुंदर जी का सन्यासी बनाना
एक बार निकुंज में श्याम सुंदर जी ने प्रिया जी के लिए निकुंज सजाया माला बनायीं हाथो से बीड़ा पान
एक बार निकुंज में श्याम सुंदर जी ने प्रिया जी के लिए निकुंज सजाया माला बनायीं हाथो से बीड़ा पान
।। नमो #राघवाय ।। नारदजी के वचन स्मरण करके किशोरीजी के मन में पवित्र प्रेम जाग्रत हो गया। सुमिरि सिय
“ उफ्फ……. कैसे इंसान के साथ बांध दिया है मुझे मां बाबूजी ……अगर मन मे प्यार नही था तो नही
भगवान श्रीराम ने भरतजी की प्रशंसा की तो उन्होंने कहा- ‘प्रशंसा तो आपकी क्योंकि मुझे आपकी छत्रछाया मिली। आप स्वभाव
एक राजा था, बहुत प्रभावशाली, बुद्धि और वैभव से संपन्न। आस-पास के राजा भी समय-समय पर उससे परामर्श लिया करते
पढ़िए सूर्य भगवान की ये पौराणिक कथा, दूर होंगे सारे कष्टप्राचीन काल की बात है। एक बुढ़िया थी जो नियमित
अगर विवाह में विलंब हो रहा है या कोई बाधा आ रही है या फिर योग्य जीवनसाथी नहीं मिल पा
गतांक से आगे – श्रीवृन्दावन में पहुँच कर रात्रि में यमुना तट पर गौरा ने विश्राम किया था…यमुना जल और
गतांक से आगे – कलकत्ता रेल मार्ग से मथुरा पहुँचीं थीं गौरा ….कलकत्ता और नवद्वीप के शताधिक भक्त थे …उनके
– अल्लाहो अकबर …अल्लाहो अकबर ….. ये क्या हो गया है बाबा ! हमारे सुन्दर “ढाका” को किसकी नज़र लग