1श्री काशी विश्वनाथ विजयते सर्वविपदविमोक्षणम्
🕉 नम: शिवाय श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः!!ॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते🙏* सर्वविपदविमोक्षणम् विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।विश्वेशवन्द्या भवती
🕉 नम: शिवाय श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः!!ॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते🙏* सर्वविपदविमोक्षणम् विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।विश्वेशवन्द्या भवती
।। नमो राघवाय ।। अनन्तकोटिब्रह्माण्ड-नायक, भगवान् सर्वान्तरात्मा, सर्वशक्तिमान् की भृकुटि के संकेतमात्र से उनकी मायाशक्ति विश्वप्रपञ्च का सर्जन, पालन तथा
नृत्य-संगीत के उत्सव में, मंदोदरी के कर्णफूल व रावण के मुकट को श्री राम द्वारा एक ही बाण में काट
आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं कांचनंवैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसंभाषणम्।वालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनंपश्चाद्रावणकुंभकर्णहननं एतद्धि रामायणम्।। राम नवमी शुभकामनाएँ 🙏🌹 In the beginning Rama went
।। श्री राम परमात्मने नमः ।। अपने धर्म का अत्यंत निष्काम भाव से आचरण करने से, अत्युत्तम हिंसाहीन कर्मयोग से
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! अनेक रूप रूपाय विष्णवे प्रभु विष्णवे वे अतिमानवीय हैं, दैवीय हैं किंतु फिर भी सर्वसुलभ है अपने
जय श्री राम कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम।तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम॥ जैसे कामी को
पुष्प वाटिका में श्री राम और जानकी जी का प्रथम मिलन होता है, जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति
भगवान कृष्ण की नगरी में वृन्दावन में भी देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी पीठ स्थित है। इस
राम चौपाई 🙏सुंदर बन कुसुमित अति सोभा। गुंजत मधुप निकर मधु लोभा॥कंद मूल फल पत्र सुहाए।भए बहुत जब ते प्रभु