
5आध्यात्मिक विचार
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! अनेक रूप रूपाय विष्णवे प्रभु विष्णवे वे अतिमानवीय हैं, दैवीय हैं किंतु फिर भी सर्वसुलभ है अपने

कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! अनेक रूप रूपाय विष्णवे प्रभु विष्णवे वे अतिमानवीय हैं, दैवीय हैं किंतु फिर भी सर्वसुलभ है अपने

जय श्री राम कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम।तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम॥ जैसे कामी को

पुष्प वाटिका में श्री राम और जानकी जी का प्रथम मिलन होता है, जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति

भगवान कृष्ण की नगरी में वृन्दावन में भी देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक कात्यायनी पीठ स्थित है। इस

राम चौपाई 🙏सुंदर बन कुसुमित अति सोभा। गुंजत मधुप निकर मधु लोभा॥कंद मूल फल पत्र सुहाए।भए बहुत जब ते प्रभु

जैसे छाया कूप की, बाहरि निकसै नाहिं।जन रज्जब यूँ राखिये, मन मनसा हरि माहि।। वैसे हरि में मन को लगाये

मुक्त पुरुष का किसी चीज से कोई आग्रह नहीं है, कि ऐसा ही होगा तो ही मैं सुखी रहूंगा। जैसा

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे कई लोगों का यह

.जब गोकुल में भगवान् के जन्म का पता चला तो सारे ग्वाल -बाल नन्द बाबा के घर बधाईयाँ ले-लेकर आये..नन्द

प्रार्थना प्रेम का परिष्कार है। प्रार्थना की सुगंध है। प्रेम अगर फूल तो प्रार्थना फूल की सुवास। प्रेम थोड़ा स्थूल