
कामाख्या स्तोत्र
जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।। विश्वमूर्ते शुभे शुद्धे विरुपाक्षि त्रिलोचने।भीमरुपे शिवे विद्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।। विश्वमूर्ते शुभे शुद्धे विरुपाक्षि त्रिलोचने।भीमरुपे शिवे विद्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।

।। ।। ओङ्कारार्णवमध्यगे त्रिपथगे ओङ्कारबीजात्मिकेओङ्कारेण सुखप्रदे शुभकरे ओकारबिन्दुप्रिये।ओङ्कारे जगदम्बिके शशिकले ओङ्कारपीठस्थितेदासोऽहं तव पादपद्मयुगलं वन्देऽखिलाण्डेश्वरि।।१।। ह्रीङ्कारार्णववर्णमध्यनिलये ह्रीङ्कारवर्णात्मिकेह्रीङ्काराब्धिसुचारुचान्द्रकधरे ह्रीङ्कारनादप्रिये।ह्रीङ्कारे त्रिपुरेश्वरी सुचरिते ह्रीङ्कारपीठस्थितेदासोऽहं

मारुती स्तोत्र हनुमानजी का एक सिद्ध मन्त्र है। इस मन्त्र के माध्यम से आप हनुमानजी की आराधना कर सकतें हैं।

शिवपुराण संहिता में कहा है कि सर्वज्ञ शिव ने संपूर्ण देहधारियों के सारे मनोरथों की सिद्धि के लिए इस ‘ॐ

शिवपुराण संहिता में कहा है कि सर्वज्ञ शिव ने संपूर्ण देहधारियों के सारे मनोरथों की सिद्धि के लिए इस ‘ॐ

कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलोमुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः।रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदोजगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु

विष्णुरुवाचसंसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः।ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदरः स्वयम्।।१।। धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने।।२।। ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे

सूर्यदेव को जीवनी शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से ही

।। ।। दक्ष उवाच।गणेशकीलकं ब्रह्मन् वद सर्वार्थदायकम्।मन्त्रादीनां विशेषेण सिद्धिदं पूर्णभावतः।।१।। मुद्गल उवाच।कीलकेन विहीनाश्च मन्त्रा नैव सुखप्रदाः।आदौ कीलकमेवं वै पठित्वा जपमाचरेत्।।२।।

गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद