
अहंकारी नहीं, विनम्र बनें
अहंकारी नहीं, विनम्र बनें रूसके एक महान् विचारक हुए हैं-‘आस्पेन्स्की ‘सत्यका सिद्धान्त’ नामक उनकी एक कृतिको श्रेष्ठतम कृतियोंमें स्थान प्राप्त

अहंकारी नहीं, विनम्र बनें रूसके एक महान् विचारक हुए हैं-‘आस्पेन्स्की ‘सत्यका सिद्धान्त’ नामक उनकी एक कृतिको श्रेष्ठतम कृतियोंमें स्थान प्राप्त

संत- मण्डलीके साथ ज्ञानेश्वर महाराज गोरा कुम्हारके घर आये। नामदेव भी साथ थे। ज्ञानदेवने गोरासे कहा तुम कुशल कुम्भकार हो

चरित्र-बल नोबेल पुरस्कार विजेता सी0वी0 रमण भौतिकशास्त्र के प्रख्यात वैज्ञानिक थे। अपने विभागके लिये उन्हें एक योग्य वैज्ञानिककी जरूरत थी।

सद्व्यवहारका अचूक अस्त्र एक राजाने एक दिन स्वप्न देखा कि कोई परोपकारी साधु उससे कह रहा है कि बेटा! कल

साधु मुहम्मद सैयद सच्चे भक्त संत थे। इनके पास कोई भी संग्रहकी वस्तु नहीं रहती थी । यहाँतक कि लंगोटी

एक व्यापारीके दो पुत्र थे। एकका नाम था धर्मबुद्धि, दूसरेका दुष्टबुद्धि । वे दोनों एक बार व्यापार करने विदेश गये

सैकड़ों साल बीत गये, किन्हीं दो नदियोंके पवित्र संगमपर एक तपोधन ब्राह्मण रहते थे। उनका नाम कौशिक था। वे अपने

ईश्वरीय विधान ही कल्याणकारी एक छोटेसे गाँवमें एक व्यापारी था। उसके पास रुपयोंकी कुछ बहुतायत हो गयी उनसे उसने माल

नये दारोगाने जगन्मित्रकी जमीन जप्त करनेका | अ निश्चय किया। लोगोंने उसे समझाया- ‘इस परम संतको हमलोगोंने यह भूमि इनाममें

चन्द्रमाके समान उज्ज्वल, सुपुष्ट, सुन्दर सींगोंवाली नन्दा नामकी गाय एक बार हरी घास चरती हुई वनमें अपने समूहकी दूसरी गायोंसे