
ईश्वर रक्षक है
एक आचार्य संत एक वृक्षके नीचे अकेले सो रहे थे। उनका एक विरोधी वहाँ पहुँचा और उसने ललकारा-‘अरे, उठ और

एक आचार्य संत एक वृक्षके नीचे अकेले सो रहे थे। उनका एक विरोधी वहाँ पहुँचा और उसने ललकारा-‘अरे, उठ और

प्राचीन कालमें किसी शहरमें एक राजा रहता था। वहीं पासके ही वनमें एक ब्राह्मण भी रहता था। उस ब्राह्मणकी एक

गर्व देवताओंका भी व्यर्थ है पूर्वकालकी बात है, मदसे उन्मत्त दानवोंने देवताओंके साथ सौ वर्षोंतक एक अत्यन्त विस्मयकारक युद्ध किया

धर्मका सार डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन् छोटी आयुमें एक ईसाई मिशनरी स्कूलके छात्र थे। एक बार उनकी कक्षामें एक शिक्षक पढ़ा

श्रीचैतन्य महाप्रभु उन दिनों नवद्वीपमें निमाईके नामसे ही जाने जाते थे। उनकी अवस्था केवल सोलह वर्षकी थी। व्याकरणकी शिक्षा समाप्त

अवन्तीप्रदेशके कुरघर नगरमें साधु कोटिकर्ण पधारे थे। उनका प्रवचन सुनने नगरके श्रद्धालु जनोंकी भीड़ एकत्र होती थी। श्राविका कातियानी भी

महातपस्वी ब्राह्मण जाजलिने दीर्घकालतक श्रद्धा एवं नियमपूर्वक वानप्रस्थाश्रमधर्मका पालन किया था। अब वे केवल वायु पीकर निश्चल खड़े हो गये

जर्मनीके बसंवीक प्रदेशमें प्रमुख नगर है नोवर । इसके पास ही हैमेलिन नामका एक शहर है। इसकी एक ओर तो

प्रेममें इतनी उन्मत्त हो गयी हूँ कि अपने तन मनकी सुधि मुझे नहीं रह गयी है, मैं उसे ढूँढ़नेके लिये

महामतिमान् आचार्य चाणक्य मैगस्थनीज यूनानका राजदूत बनकर जब भारत आया तब उसने चन्द्रगुप्त मौर्यके प्रधानमन्त्री चाणक्यकी प्रशंसा सुनकर उनसे मिलनेकी