
गरीबके दानकी महिमा
गुजरातकी प्रसिद्ध राजमाता मीणलदेवी बड़ी उदार थी। वह सवा करोड़ सोनेकी मोहरें लेकर सोमनाथजीका दर्शन करने गयी। वहाँ जाकर उसने

गुजरातकी प्रसिद्ध राजमाता मीणलदेवी बड़ी उदार थी। वह सवा करोड़ सोनेकी मोहरें लेकर सोमनाथजीका दर्शन करने गयी। वहाँ जाकर उसने

नगरका नाम और ठीक समय स्मरण नहीं है। वर्षा ऋतु बीती जा रही थी; किंतु वर्षा नहीं हुई थी। किसानों

23 मार्च 1931 की रातमें लाहौर जेलमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरुको श्रीगांधीजी आदिकी लाख चेष्टाके बाद भी फाँसी दे

समस्या चट्टान-सी पुराने समयकी बात है। माधोपुर गाँवमें एक किसान माधवनाथ रहता था। उसके पास खेती करनेके लिये एक बड़ा-सा

एक नवशिक्षित शहरी बाबू नदीमें नावपर जा रहे थे। उन्होंने आकाशकी ओर ताककर केवटसे कहा – ‘भैया! तुम नक्षत्रविद्या जानते

केवल लक्ष्यपर ध्यान लगाओ एक बार स्वामी विवेकानन्द अमेरिकामें भ्रमण कर रहे थे। अचानक एक जगहसे गुजरते हुए उन्होंने पुलपर

परम पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय पं0 श्रीडूंगरदत्तजी | महाराज बड़े ही उच्चकोटिके विद्वान् परम त्यागी, तपस्वी, पूर्ण सदाचारी, कर्मकाण्डी, अनन्य भगवद्भक्त

एक भक्त थे, कोई उनका कपड़ा चुरा ले गया। कुछ दिनों बाद उन्होंने उसको बाजारमें बेचते देखा । दूकानदार कह

(2) ऐसे सेवाभावी थे सन्त दादू सन्त दादू जयपुरसे दूर एक जंगलमें ठहरे थे। उनकी ख्याति सुनकर शहरके कोतवाल घोड़ेपर

जापानके किसी नगरमें एक वृद्ध व्यक्ति रहता था । वह और उसकी पत्नी दोनों बड़े उदार थे। पशु पक्षियोंके प्रति