
आजादकी अद्भुत जितेन्द्रियता
सुप्रसिद्ध महान् देशभक्त क्रान्तिकारी तरुण वीर चन्द्रशेखर आजाद बड़े ही दृढ़प्रतिज्ञ थे। हर समय आपके गलेमें यज्ञोपवीत, जेबमें गीता और

सुप्रसिद्ध महान् देशभक्त क्रान्तिकारी तरुण वीर चन्द्रशेखर आजाद बड़े ही दृढ़प्रतिज्ञ थे। हर समय आपके गलेमें यज्ञोपवीत, जेबमें गीता और

गुरुके अपमानसे पराभव इन्द्रको त्रिलोकीका ऐश्वर्य पाकर घमण्ड हो गया था। इस घमण्डके कारण वे धर्ममर्यादाका, सदाचारका उल्लंघन करने लगे

दुश्मन है तो क्या ! पिछले विश्वयुद्धकी बात है। अमेरिकनोंने अत्तू द्वीपपर हमला किया। चीचागोफमें जाकर लड़ाई हुई। बहुत-से अमेरिकी

श्रीराम-सीता लक्ष्मण वन पधार गये। श्रीदशरथजीकी मृत्यु हो गयी। भरतजी ननिहालसे अयोध्या आये। सब समाचार सुनकर अत्यन्त मर्माहत हो गये।

[11] परिश्रमका फल एक किसानको खेती बहुतसे गुर मालूम थे, परंतु उसके पुत्रोंमें उन्हें सीखनेका धैर्य नहीं था। उसे अही

मधुर कविके गुरुका नाम नम्माळवार- शठकोप था। वे तिरुक्कुरुकूर – श्रीनगरीमें उत्पन्न हुए थे। इनके जन्म लेते ही माता-पिताने इन्हें

एक बार कैलासके शिखरपर श्रीश्रीगौरीशङ्कर | भगवद्भक्तोंके विषयमें कुछ वार्तालाप कर रहे थे। उसी प्रसङ्गमें जगज्जननी श्रीपार्वतीजीने आशुतोष श्रीभोलेबाबा से

कर्कटे पूर्वफाल्गुन्या तुलसीकाननोद्भवम्। । पाण्ड्ये विश्ववरां कोदां वन्दे श्रीरङ्गनायकीम् ॥ पुष्प – चयन करते समय प्रातः काल श्रीविष्णुचित्तने तुलसीकाननमें एक

स्वामी शंकराचार्य दिग्विजय करते हुए काशी पधारे। शास्त्रार्थप्रेमी काशीके पण्डितोंसे उनका डटकर शास्त्रार्थ हुआ। शंकराचार्यसे ‘अद्वैतवाद’ के विषयमें काशीके पण्डितोंने

बर्बरीक भीमसेनका पोता और उनके पुत्र घटोत्कचका पुत्र था। इसकी माता मौर्वी थी, जिसे शस्त्र, शास्त्र तथा बुद्धिद्वारा पराजितकर घटोत्कचने