
अस्तेय
साधु इब्राहीम आदम घूमते-घामते किसी धनवान्के बगीचे में जा पहुँचे। उस धनी व्यक्तिने उन्हें कोई साधारण मजदूर समझकर कहा-‘तुझे यदि

साधु इब्राहीम आदम घूमते-घामते किसी धनवान्के बगीचे में जा पहुँचे। उस धनी व्यक्तिने उन्हें कोई साधारण मजदूर समझकर कहा-‘तुझे यदि

मिथ्या आलोचनाओंकी चिन्ता मत करो अमेरिकन राष्ट्रपति लिंकनके विरोधी अखबार जीखोलकर उनकी बुराई करते थे, किंतु लिंकन अविचलित भावसे अपने

[ श्रीराधा-कृष्ण-परिणय ] नित्य आनन्दघन, नित्यनिकुञ्जविहारी श्रीनन्दनन्दन धरापर आविर्भूत हुए और उनके साथ ही पधारीं व्रजधरापर उनकी महाभावरूपा आनन्दशक्ति श्रीराधा

बादशाह अलाउद्दीनके दरबार में एक मंगोल सरदार था। बादशाह उसकी शूरता तथा ईमानदारीसे बहुत संतुष्ट थे; किंतु निरंकुश लोगोंकी समीपता

देवगुरु महर्षि बृहस्पतिके पुत्र कचने युवा होते. ही निश्चय किया कि ‘प्राणीका पहला कर्तव्य है जन्म-मरणके पाशंसे छुटकारा पा लेना।’

एक गिलास दूध एक लड़का अपने स्कूलकी फीस भरनेके लिये दरवाजे दरवाजे कुछ सामान बेचा करता था। एक दिन उसका

सत्ययुगका काल था। स्वभावसे मानव कामनाहीन था मनुष्यका अन्तःकरण कामना- कलुषित नहीं हुआ था और न रजोगुण तथा तमोगुणके संघर्ष

एक सज्जन बड़े ही दानी थे, उनका हाथ सदा ही ऊँचा रहता था; परंतु वे किसीकी ओर नजर उठाकर देखते

एक भक्तिमती वृद्धा श्रीराधाके बालरूपका ध्यान कर रही थी। ध्यानमें श्रीराधाने काजल न लगवानेका हट पकड़ लिया। वह भाँति-भाँति उसको

आर्यसमाजके प्रवर्तक स्वामी दयानन्दजीको बड़ी खोजके बाद विरजानन्द-ऐसे परम वेदज्ञ महात्माका दर्शन हुआ। विरजानन्द अंधे थे। उन्होंने दयानन्दको शिष्य बना