
नशा उतर गया
नशा ही तो— कामका नशा चढ़ गया था सेठ धनदत्तके पुत्रके सिरपर एक नट आया उनके यहाँ और उसने अपनी

नशा ही तो— कामका नशा चढ़ गया था सेठ धनदत्तके पुत्रके सिरपर एक नट आया उनके यहाँ और उसने अपनी

नशापुरमें एक व्यापारी था। वह धन कमानेमें निरन्तर लगा रहता था। अच्छे और बुरे कर्मसे उसे कुछ लेना-देना नहीं था।

अफ्रीकामें कमेराका हब्शी राजा बहुत अभिमानी था, वह ऐश्वर्यके उन्मादमें सदा मग्न रहता था। लोग उससे बहुत डरते थे और

मातृसेवा – मुक्तिकी सीढ़ी एक उत्साही नवयुवक रामकृष्ण परमहंसकी सेवामें पहुँचा। वह परमहंसके चरणोंमें झुक गया, उसने पूर्ण भक्तिभावसे उनसे

आत्महत्याका विचार उचित नहीं पूर्वकालमें काश्यप नामका एक तपस्वी व्यक्ति था । उसे धनके मदमें चूर किसी वैश्यने अपने रथके

उमा संत कइ इहड़ बड़ाई । मंद करत जो करइ भलाई ॥ -तुलसीदास नीरव निशीथ संत बायजीद कब्रिस्तान जा रहे

एक महात्मा थे। उन्होंने स्वयं ही यह घटना अपने एक मित्रको सुनायी थी। वे बोले-‘मेरी आदत है कि मैं तीन

मिश्र देशके प्रसिद्ध संत एन्थानीने अठारह सौ वर्ष पहले जो नाम कमाया, वह विश्वके संतसाहित्यकी एक अमूल्य निधि है। वे

संत त्यागराजके जीवनकी एक घटना है। उनकी राम-भक्ति और दिव्य संगीत-माधुरीसे जिस समय समस्त दक्षिण भारत भागवतरसमें निमग्न हो रहा

रक्षामन्त्रीका पत्र एक बार अमेरिकी सेनाके एक प्रमुख अधिकारीने रक्षामन्त्रीके आदेशको ठीकसे समझ न पानेके कारण कोई भूल कर दी।