
माताकी सेवा
‘प्रभो! मेरे दुःखी पुत्रपर सुख-शान्तिकी वर्षा करना। संत उसपर प्रसन्न रहें तथा उसका जीवन पवित्र तथा प्रभु प्रेममय रहे ।

‘प्रभो! मेरे दुःखी पुत्रपर सुख-शान्तिकी वर्षा करना। संत उसपर प्रसन्न रहें तथा उसका जीवन पवित्र तथा प्रभु प्रेममय रहे ।

ईमानदारीकी कमाई सन्त अबू अली शफीक रोजाना कुछ देर मजदूरी करते और उससे अपने भोजनकी व्यवस्था करते। एक धनवान् व्यक्ति

फुफकारो, पर काटो मत किसी जंगलमें कुछ चरवाहे गौएँ चराते थे। वहाँ एक बड़ा विषधर सर्प रहता था। उसके डरसे

श्रीगदाधर भट्टजीसे श्रीमद्भागवतकी भावपूर्ण कथा सुननेके लिये भावुक भक्तोंका समुदाय एकत्र हुआ करता था। श्रीमद्भागवत एक तो वैसे ही भक्तोंका

अद्भुत डाकू था वह फकीरोंके वेशमें रहता, हाथमें उसके तसबीह रहती। वह डाका डालता, पर अधिकांश धन गरीबोंमें बाँट देता।

ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक भारतीय परिवारके लोग जापानकी राजधानी टोक्योके एक होटलमें ठहरे। जब वे बाजार गये तो उन्हें वहाँ

‘देश, धर्म और स्वराज्यकी बलिवेदीपर प्रत्येक | भारतीयको चढ़ जाना चाहिये; यह पवित्र कार्य है। इसीमें आत्मसम्मानका संरक्षण है।’ महाराज

पण्डित श्रीरामजी महाराज संस्कृतके महान् धुरन्धर विद्वान् थे संस्कृत आपकी मातृभाषा थी। आपका सारा परिवार संस्कृतमें ही बातचीत करता था

फिर भी दोनों ढेरियाँ बराबर दो भाई थे, नरेन्द्र और सुरेन्द्र। दोनों खेतीका काम करते थे। नरेन्द्र कुवारा था और

संसारमें हमसे भी दुखी प्राणी हैं खरगोश बड़े दुर्बल और डरपोक प्राणी होते हैं। बलवान् जानवर उन्हें देखते ही मारकर