
साधनाकी तन्मयता
साधनाकी तन्मयता महान् चित्रकार ‘आगस्टी केन्वायर’ जितने अधिक वृद्ध होते गये, उतना ही उनका कला-प्रेम बढ़ता गया। युवावस्थामें वे एक

साधनाकी तन्मयता महान् चित्रकार ‘आगस्टी केन्वायर’ जितने अधिक वृद्ध होते गये, उतना ही उनका कला-प्रेम बढ़ता गया। युवावस्थामें वे एक

नाममें क्या रखा है एक जातक कथा है। किसी दम्पतीने अपने पुत्रका नाम ‘पापक’ रख दिया था। बच्चा बड़ा हुआ

बाबरका पिता उमरशेख समरकंदका राजा था। वह अपनी न्यायप्रियताके लिये बड़ा प्रसिद्ध था। एक बार चीनी यात्रियोंका एक समुदाय पूर्वसे

‘सबहि नचावत रामु गोसाईं ‘ कठपुतलियोंको नृत्य-अभिनय करते-करते काफी समय हो गया। एक दिन कुछ कठपुतलियोंको अपने नृत्य कौशलपर अभिमान

चीनके बादशाहका मन्त्री शाहचांग बहुत थक गया था। उस दिन उसे सबेरे ही बादशाहके सम्मुख एक रिपोर्ट रखनी थी। आधी

एक बार भगवान् श्रीराम जब सपरिकर सभामें विराज रहे थे, विभीषण बड़ी विकलतापूर्वक अपनी स्त्री तथा चार मन्त्रियोंके साथ दौड़े

मध्याह्न वेला भिक्षु भिक्षा कर चुके थे। जेतवनमें विश्राम करते हुए एकने कहा- ‘मगधराज सेनिय विम्बसार राज्य एवं सम्पत्तिकी दृष्टिसे

नदीने सिखाया राजा कुमारसेन क्रूर और अभिमानी था। उसका मन्त्री सुमन्तसेन चतुर, व्यावहारिक और हाजिरजवाब था। एक दिन राजा कुमारसेनने

श्रीभूदेव मुखोपाध्यायने अपनी एक लाख, साठ हजारकी सम्पत्ति दान करके अपने पिता श्रीविश्वनाथ तर्कभूषणकी स्मृतिमें ‘विश्वनाथ फंड’ स्थापित किया था।

सिद्दियोंने जंजीरके अभागे दीवान आवजी हरि चित्रेका खून करके उनको पत्नी और दो पुत्रोंको बेच भी दिया। यह तो पत्नीकी