
विश्वासका फल
एक सच्चा भक्त था, पर था बहुत ही सीधा उसे छल-कपटका पता नहीं था। वह हृदयसे चाहता था कि मुझे

एक सच्चा भक्त था, पर था बहुत ही सीधा उसे छल-कपटका पता नहीं था। वह हृदयसे चाहता था कि मुझे

छः-सात वर्षकी बात है। दिल्लीमें एक टाँगेपर बैठा जा रहा था। टाँगा चलानेवाला अपने कार्यमें विशेष दक्ष प्रतीत नहीं होता

मेरा काम है बचाना, मारना नहीं! ‘आ जा पठ्ठे, मुझसे द्वन्द्व-युद्ध कर।’ प्रसिद्ध वैज्ञानिक लुई पाश्चूरको डॉक्टर जुलेस गुइरिनने ललकारा।

एक बार महर्षि आपस्तम्बने जलमें ही डूबे रहकर भगवद्भजन करनेका विचार किया। वे बारह वर्षोंतक नर्मदा और मत्स्या संगमके जलमें

गर्ग गोत्र में उत्पन्न बलाकाके पुत्र बालाकि नामके एक प्रसिद्ध ब्राह्मण थे। उन्होंने सम्पूर्ण वेदोंका अध्ययन तो किया ही था,

उस गाँवमें कुळशेखर एक विद्वान् और ईश्वरभक्त व्यक्ति थे। रोज उनके घरके पार्श्ववर्ती मन्दिरमें कथा वाचनका क्रम चलता था। कथा

रास्ता यह है एक आदमी बहुत परेशान था। बीमारियोंने उसके शरीरको घेर रखा था, पर वह उनका इलाज कैसे कराता;

लोमड़ीका बच्चा और मीठे बेर एक दिन एक लोमड़ीका बच्चा जब खानेकी खोज में निकला तो उसकी माँने उसे समझाया-‘बेटा

महर्षि दुर्वासा अपने क्रोधके लिये तीनों लोकमें विख्यात हैं। एक बार वे चीर धारण किये, जटा बढ़ाये, बिल्वदण्ड लिये तीनों

उधारकी पिकनिक नहीं स्कूलके कुछ छात्रोंने पिकनिकपर जानेका प्रोग्राम बनाया और तय किया कि प्रत्येक छात्र घरसे कुछ-न कुछ खानेका