
कुदरतका कानून
कुदरतका कानून एक सन्त अपने शिष्योंके साथ स्थान-स्थानपर भ्रमण कर रहे थे। एक दिन वे एक गाँवमें जा पहुँचे। के

कुदरतका कानून एक सन्त अपने शिष्योंके साथ स्थान-स्थानपर भ्रमण कर रहे थे। एक दिन वे एक गाँवमें जा पहुँचे। के

(4) पिता-पुत्र किसी नगरमें एक व्यापारी रहता था, जो परिस्थितिवश निर्धन हो गया था। उसका एक छोटा-सा लड़का भी था।

झूठ बोलनेका परिणाम एक चरवाहा किसी वनमें गायें चराया करता था। चरागाहके निकटके वनमें बाघका निवास था। चरवाहा खेल-खेलमें ही

समूहमें शक्ति होती है किसी वनमें एक तमालके वृक्षपर घोंसला बनाकर घटक पक्षी (गौरैया) का एक जोड़ा रहता था। कालान्तरमे

एक महात्मा थे। वे काशीमें रहते थे। उनके पास एक बिल्ली थी, वह मर गयी। महात्माने उसको लाल कपड़े में

एक बार एक तंग रास्तेपर काशिराज और कोसलराज दोनोंके ही रथ आमने-सामने आ गये। अब बिना रास्तेसे एक ओर हटे

मानकोजी बोधला भगवान्के परम भक्त थे, उनको भगवान्के दर्शन तथा उनसे वार्तालापका सौभाग्य प्राप्त था। एक बार बातचीतमें भगवान्ने कहा-‘मुझे

नम्र बनो, कठोर नहीं ! एक चीनी सन्त बहुत बूढ़े हो गये। देखा कि अन्तिम समय निकट आ गया है,

काशी में वेदान्तके प्रकाण्ड पण्डित, सगुण उपासनाके विरोधी स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती रहते थे श्रीचैतन्यदेव जब पुरीमें प्रेमभक्तिका प्रवाह बहा रहे

स्वर्गके देवदूतोंने भगवान् एक दिन प्रश्न किया “प्रभो क्या संसारमें ऐसी भी कोई वस्तु है जो चट्टानोंसे अधिक कठोर हो