
परिवर्तनशीलके लिये सुख-दुःख क्या मानना
एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत
एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत
नासमझ बेटा एक था बूढ़ा पाला, जिंदगीके अनुभवोंसे समझदार । उसका एक जवान बेटा था, बापके बिलकुल विपरीत, नासमझ, शेखीखोर
आत्मज्ञान आवश्यक मनुष्यको एक पंख उग आया-विज्ञानका पंख उसने जोर लगाया और आकाशमें उड़ गया। पर अब वह मुक्त और
किताबी ज्ञान एक गृहस्थका इकलौता बेटा मर गया। माँ बाप खूब रुदन करने लगे। वे किसी तरह शान्त ही नहीं
एक महात्मा बड़ी सुन्दर वेदान्तकी कथा कहा करते। बहुत नर-नारी सुनने जाते। उनमें एक गरीब राजपूत भी था जो आश्रमके
विश्वास कीजिये – बिलकुल सत्य बात है – यह एक मकानका नाम है, जो उत्तर प्रदेशके एक विख्यात शहरमें ही
दक्षिणेश्वरमें एक दिन एक अवधूत आये। उनके केश और नख बढ़े हुए थे, शरीर धूलिसे सना था, मैली फटी गुदड़ी
कहा जाता है कि बचपनमें पण्डित बोपदेवजीकी स्मरणशक्ति अत्यन्त क्षीण थी। वे बहुत परिश्रम करते थे, किंतु व्याकरणके सूत्र उन्हें
स्वर्गकी देवसभामें देवराजने किसी नरेशकी दयालुताका वर्णन किया। एक देवताके मनमें राजाकी परीक्षा लेनेकी इच्छा हुई। वे पृथ्वीपर आये और
लगभग चौबीस सौ वर्ष पहलेकी बात है। खुतन देशमें नदीका जल सूख जानेसे घोर अकाल पड़ गया। प्रजा भूखों मरने