
|| कपिल मुनि का आध्यात्म योग||
👇कपिलमुनि का परिचय**कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक थे,जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है। इनकी माता का

👇कपिलमुनि का परिचय**कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक थे,जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है। इनकी माता का

एक शिष्य अपने गुरु के आश्रम में कई वर्षों तक रहा। उसने उनसे शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। एक दिन

ठाकुर जी के हस्ताक्षर जो भक्त का रूप धारण कर के न्यायालय में किये , आज भी उसकी प्रतिलिपि भगत

. भीलकन्या जीवंती महाराज वृषपर्वा की प्रिय सेविका थी। जीवंती की भगवान में अटूट आस्था थी और वृषपर्वा भी इस

एक विदेशी पर्यटक एक योगी से भेंट करता है,वह देखकर चकित रह गया कि योगी का घर बस एक साधारण

भगवान की दृष्टि मेँ मूल्य समर्पण का है,अंहकार का नहीं।पढ़िए।पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर लटक रहा नारियल रोज नीचे

. अपने को बिना शर्त भगवान् को अर्पण करे। लोग कहते हैं कि अर्पण तो होता नहीं है। इसका

दोनों ही गली-गली जाकर पीठ पर पोटली लादकर कपड़े बेचने का काम करते थे । सर्दियों के दिन थे वह

.दक्षिण में वेंकटाचल (तिरुपति बालाजी) के समीप कूर्मग्राम में एक कुम्हार रहता था। उसका नाम था भीम। वह भगवान का

.एक बार अवंतिपुर में साधु कोटिकर्ण आए। उन दिनों उनके नाम की धूम थी।.उनका सत्संग पाने दूर-दूर से लोग आते