
कुत्तेका भय भी अनित्य है
काशीके कुछ पण्डित आचार्य शंकरसे द्रोह मानते थे। एक दिन काशीके कुछ पण्डितोंने आचार्य शंकरके ऊपर एक कटहे कुत्तेको काटनेके

काशीके कुछ पण्डित आचार्य शंकरसे द्रोह मानते थे। एक दिन काशीके कुछ पण्डितोंने आचार्य शंकरके ऊपर एक कटहे कुत्तेको काटनेके

एक राजा घोड़ेपर चढ़ा वनमें अकेले जा रहा था! जब वह डाकू भीलोंकी झोंपड़ीके पाससे निकला, तब एक भीलके द्वारपर

वाणीसे व्यक्तित्वका बोध मुरलीधरके स्वभावसे उसके घरके लोग तंग आ चुके थे। यह हर बात इतने कठोर तरीकेसे बोलता कि

जिन्दगीकी रफ्तारमें एक सबक तेजी से दौड़ती कारपर एक ईंट आकर लगी। कार सवारने गाड़ी रोकी और देखा एक बच्चा

श्री आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता हाईकोर्टके जज और विश्वविद्यालयके वाइस चान्सलर थे। उनके मित्र उन्हें विलायत जानेकी सलाह देते थे और

पतिव्रत धर्मका फल एक समयकी बात है, सब प्रकारके तत्त्वोंको जाननेवाली, सर्वज्ञ एवं मनस्विनी शाण्डिली देवलोकमें गयी। वहाँ कैकेयी सुमना

बुलंद हौसला ज्याँ पाल सार्त्र फ्रांसके प्रसिद्ध दार्शनिक थे। यद्यपि उनका जीवन कठिनाइयोंसे भरा था, परंतु उन्हें कभी किसीने उदास

देवता सभी पूज्य हैं; किंतु एक बार देवताओं में विवाद हो गया कि उनमें प्रथम पूज्य कौन है ? जब

श्राद्धीय अन्न चमारको खिला देनेसे पैठणके ब्राह्मण एकनाथ स्वामीपर रुष्ट हो गये थे। फिर नया स्वयंपाक बना, उन्हें बुलानेपर भी

सन् 1656 की बात है, शिवाजी महाराज रायगढ़ से चलकर सताराके किलेमें आकर निवास कर रहे थे। एक दिन वे