सतर्क दूरदर्शिता
सतर्क दूरदर्शिता एक जापानी कार लाल बत्तीपर रुक गयी। कारमें बैठे विदेशी व्यक्तिने अपने जापानी ड्राइवर दोस्तसे कहा, ‘इस भरी
सतर्क दूरदर्शिता एक जापानी कार लाल बत्तीपर रुक गयी। कारमें बैठे विदेशी व्यक्तिने अपने जापानी ड्राइवर दोस्तसे कहा, ‘इस भरी
नावेर नामक एक अरब सज्जनके पास एक बढ़िया घोड़ा था। दाहर नामक एक मनुष्यने कई ऊँट देकर बदलेमें घोड़ा लेना
एक नास्तिककी भक्ति हरिराम नामक एक आदमी शहरकी एक छोटी-सी गली में रहता था। वह एक मेडिकल स्टोरका मालिक था।
‘गाड़ी आनेमें केवल आधा घंटा रह गया है। लकड़ीके पुलपर गाड़ी गिर पड़ेगी और अगणित प्राणियोंके प्राण चले जायँगे बेटी!’
प्रभु-प्राप्तिका मार्ग द्वितीय सिक्खगुरु अंगददेवजीका पूर्वनाम लहिणा था। तीर्थयात्रा करते समय एक बार उनकी मुलाकात आदिगुरु नानकदेवसे हुई और उनके
उसके केश और वस्त्र भीगे हुए थे। मुखपर बड़ी उदासी और मनमें अत्यन्त खिलता थी। उसके में जिज्ञासाका चित्र था
भक्तशिरोमणि कविवर रामप्रसाद सेनने अपने जीवनकालमें ही देवी उमाका साक्षात्कार किया था। इतनी थी उनकी प्रगाढ भक्ति एवं भगवतीके चरणोंकी
सद्गुरु बच्चा अगर तुम शिष्य बननेको तैयार हुए, तो सारा संसार तुम्हें सद्गुरुओंसे भरा हुआ दिखायी पड़ेगा। वृक्ष, चट्टानें और
एक व्याधने पक्षियोंको फँसानेके लिये अपना जाल बिछाया ! उसके जालमें दो पक्षी फँसे; किंतु उन पक्षियोंने झटपट परस्पर सलाह
महर्षि याज्ञवल्क्य नियमितरूपसे प्रतिदिन उपनिषदोंका उपदेश करते थे। आश्रमके दूसरे विरक्त शिष्य तथा मुनिगण तो श्रोता थे ही, महाराज जनक