
दानाध्यक्षकी निष्पक्षता
रामशास्त्री प्रभुणे पेशवाईके प्रमुख विचारपतिका काम कर रहे थे। साथ ही दानाध्यक्षका काम भी उन्हींके अधीन रहा। एक बार दक्षिणा

रामशास्त्री प्रभुणे पेशवाईके प्रमुख विचारपतिका काम कर रहे थे। साथ ही दानाध्यक्षका काम भी उन्हींके अधीन रहा। एक बार दक्षिणा

ऋषिकेशके जंगलमें पहले एक महात्मा रहते थे। उनका नाम था द्वारकादासजी वे बिलकुल दिगम्बर रहा करते थे। एक बार एक

परमात्माके विश्वासका ताना-बाना वृन्दावनमें एक जुलाहा था। एक कारीगरके रूपमें वह अत्यन्त भक्त और निष्ठावान् था। गाँवमें उसके समान अन्य

महाराज युधिष्ठिरने जब सुना कि श्रीकृष्णचन्द्रने अपनी लीलाका संवरण कर लिया है और यादव परस्परके कलहसे ही नष्ट हो चुके

बच्चा छोटा है, पर पूरा है कहीं एक बड़ी मनोवैज्ञानिक लघुकथा पढ़ी थी, जो प्रत्येक अभिभावक, प्रत्येक शिक्षकको न केवल

बहूके सद्भावका असर पुत्रकी उम्र पैंतीससे पचास छूने लगी। पिता पुत्रको व्यापारमें स्वतन्त्रता नहीं देता था, तिजोरीकी चाबी भी नहीं।

दक्षिण भारतके प्रतिष्ठित संत स्वामी वादिराजजीके अ अनेकों शिष्य थे; किंतु स्वामीजी अपने अन्त्यज शिष्य कनकदासपर अधिक स्नेह रखते थे।

अध्यात्मबोधक कुछ मूलभूत दृष्टान्त 1 – त्रिलोकीका नाश एक राजा था, वह एक बार शिकार करनेके लिये जंगलमें गया। बहुत

वे एक ग्राममें रहते थे और कुछ दवा-दारू करते। थे। परंतु जिसकी चिकित्सा करते उससे लेते कुछ नहीं थे। एक

अपने बुरे कर्मोंका फल यथासमय भोगना ही पड़ेगा महाभारतपर आधारित एक अनुश्रुति है कि राजा धृतराष्ट्रके सौ पुत्रोंके युद्धमें मर