बोध-सूक्ति- पीयूष
बोध-सूक्ति- पीयूष ‘अनिर्वेदः सिद्धेर्मूलम् ॥’-निराशाका अभाव हो सफलताका मूल है। ‘न सन्देहदेहो वीरव्रतनिर्वाहः ॥ ‘ – वीरोचित आचरण संशयग्रस्त मनसे
बोध-सूक्ति- पीयूष ‘अनिर्वेदः सिद्धेर्मूलम् ॥’-निराशाका अभाव हो सफलताका मूल है। ‘न सन्देहदेहो वीरव्रतनिर्वाहः ॥ ‘ – वीरोचित आचरण संशयग्रस्त मनसे
नगरका नाम और ठीक समय स्मरण नहीं है। वर्षा ऋतु बीती जा रही थी; किंतु वर्षा नहीं हुई थी। किसानों
23 मार्च 1931 की रातमें लाहौर जेलमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरुको श्रीगांधीजी आदिकी लाख चेष्टाके बाद भी फाँसी दे
(2) ऐसे सेवाभावी थे सन्त दादू सन्त दादू जयपुरसे दूर एक जंगलमें ठहरे थे। उनकी ख्याति सुनकर शहरके कोतवाल घोड़ेपर
जापानके किसी नगरमें एक वृद्ध व्यक्ति रहता था । वह और उसकी पत्नी दोनों बड़े उदार थे। पशु पक्षियोंके प्रति
गत वर्ष मैं पटनेमें मकान बना रहा था। बरसात के कुछ पहले एक वैगन चूना आ गया। चारों तरफ ईंट
“क्यों री ! आज सागमें नमक डालना भूल | गयी?’- पैठनके परम कर्मठ षट्शास्त्री बहिरंभट्टने अपनी पत्नीसे पूछा । पत्नीने
जर्मनीकी सेनाके कोई उच्चाधिकारी किसी युद्धके समय अपने शिविरसे कुछ सैनिकोंके साथ घोड़ोंके लिये घास एकत्र करने निकले। समीपमें एक
दान और भोग राजा भोज जंगलके रास्तेसे जा रहे थे साथमें था राजकवि पण्डित धनपाल। भोजने जंगलमें एक बड़े वृक्षकी
एक बार एक बुद्धिमान् ब्राह्मण एक निर्जन वनमें घूम रहा था। उसी समय एक राक्षसने उसे खानेकी इच्छासे पकड़ लिया।