रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना “”
7 मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे, 22 वर्ष
7 मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे, 22 वर्ष
श्याम बाबा की कहानी महाभारत काल से संबंधित है। श्याम बाबा(बर्बरीक) भीम और हिडिम्बा के पौत्र थे। उनके पिता का
सुबह सुबह उस गोपी के यहाँ नन्दनन्दन पहुँच गए।कई दिनों से इसकी इच्छा थी।इसनें मनोरथ किया था कि मेरे घर
जैसे छाया कूप की, बाहरि निकसै नाहिं।जन रज्जब यूँ राखिये, मन मनसा हरि माहि।। वैसे हरि में मन को लगाये
श्यामसुंदर श्री कृष्ण गले में वैजन्तीमाला पहनते हैं। क्यों ? यह माला पचरंगी है। पाँच इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने
मुक्त पुरुष का किसी चीज से कोई आग्रह नहीं है, कि ऐसा ही होगा तो ही मैं सुखी रहूंगा। जैसा
एक दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त- आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में
कर्मबंधन का जन्मबंधन ” पिछले जन्मों के ताने बाने की कहानी” रिवासकी,एक बहुत राइस आदमी,हमेशा अपनी मद में।किसी को कुछ
बंगाल में महान संत और माँ काली के अनन्य भक्त स्वामी श्री रामकृष्ण परमहंस देव हुए। उनकी पूजापाठ में कर्मकांड
क्या आपने कभी ईश्वर से बात करने का प्रयास किया है। अगर नहीं किया है तो आज से ही परमात्मा