इस साल धनतेरस के त्योहार को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है.
पंच दिवसीय दीपावली महापर्व 22 अक्टूबर शनिवार से आरंभ होगा. इस साल धनतेरस का त्योहार दो दिवसीय होगा. देवताओं के प्रधान चिकित्सक भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में यह पर्व मनाया जाता है. धनतेरस के दिन सोने, चांदी के आभूषण और धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, संपन्नता आती है और माता महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इस बार धन त्रयोदशी कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी शनिवार को शाम 4 बजकर 13 मिनट पर लग रही है और 23 अक्टूबर रविवार को शाम 4 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इस अवसर पर अधिकांश लोग शुभ मुहूर्त में अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुरूप वस्तुएं खरीदते हैं. इसमें भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति, सोने-चांदी के आभूषण, धातु के बर्तन, श्रीयंत्र और कुछ विशेष चीजें जैसे कि वाहन, जमीन, फ्लैट आदि शामिल हैं।
धनतेरस की पूजा 22 अक्टूबर को ही करें
धनतेरस की पूजा 22 अक्टूबर यानी शनिवार को की जानी चाहिए. धनतेरस पर लक्ष्मी मां और कुबेर की पूजा त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में की जाती है. इस साल त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को ही बन रहा है. इस वजह से धनतेरस या धन त्रयोदशी की पूजा 22 अक्टूबर को करनी चाहिए. 22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. आपके पास धनतरेस की पूजा के लिए एक घंटे 15 मिनट का समय रहेगा. शुभ मुहूर्त में धनतेरस की पूजा करने मात्र से धन लक्ष्मी पूरे वर्ष हमारे यहां निवास कर सुख समृद्धि प्रदान करती हैं तथा पूजा अर्चना करने मात्र से आने वाले कष्टों का निवारण स्वतः हो जाता है।
धनतेरस पर खरीदारी कब करें?
धनतेरस पर खरीदारी आप 22 अक्टूबर और 23 अक्टूबर दोनों ही दिन कर सकते हैं. लेकिन त्रयोदशी तिथि का ध्यान रखते हुए शनिवार को शाम 4 बजकर 13 मिनट के बाद और 23 अक्टूबर रविवार को शाम 4 बजकर 45 मिनट से पहले ही खरीदारी करें. हालांकि, अगर आप वाहन या लोहे का सामान खरीद रहे हैं तो रविवार को ही खरीदारी करें क्योंकि शनिवार के दिन लोहे की चीजें खरीदना शुभ नहीं माना जाता है।
धनतेरस की पूजन विधि
धनतेरस के दिन प्रातः काल सूर्योदय के पूर्व स्नान करने के पश्चात शुद्ध हो जाएं तथा धनतेरस का पूजन प्रदोष काल में माना जाता है. ऐसा भी कहा गया है कि प्रदोष काल में धनतेरस के दिन भेंट की हुई सामग्री से अकाल मृत्यु नहीं होती इसलिए हमें चाहिए कि भगवान का विधि विधान से पूजन करें।
धनतेरस की पूजन विधि इस प्रकार है. प्रदोष काल में एक चौकी के ऊपर लाल वस्त्र बिछा दें तथा उस पाटे पर भगवान गणेश, कुबेर, धन्वंतरि और लक्ष्मी जी को विराजमान करें तथा साथ ही साथ एक करमांग दीपक घी का भर कर प्रज्वलित करे. एक कलश स्थापित करें. उस पर नारियल रखा हो तथा पांच प्रकार के पत्तों से शोभायमान हो और कंकू अबीर गुलाल सिंदूर हल्दी और चावल तथा पचरंगी धागा, जनेऊ थाली में स्थापित कर भगवान का विधि विधान से पूजन करना चाहिए।
सर्वप्रथम हाथ में सुपारी चावल कंकू अबीर गुलाल सिंदूर हल्दी और एक पुष्प हाथ में रखे भगवान का संकल्प ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: कहकर करें. उसके पश्चात भगवान कुबेर, लक्ष्मी, गणेश और धनवंतरी जी को 4 बार स्नान कराएं. उनको पंचामृत से स्नान कराकर भगवान धन्वंतरी और भगवान गणपति पर जनेऊ जोड़ा चढ़ाएं और अपनी सामर्थ्य अनुसार गुड़ या मिष्ठान का भोग लगाकर बाद में 13 मिट्टी के दीपक जलाकर उनकी कंकू अबीर गुलाल चावल से दीपक की पूजा करें, तथा अंत में महालक्ष्मी जी की आरती करें. उसके पश्चात शाम के समय एक भोग की थाली मिट्टी के दीपक के साथ घर की मुख्य देहली पर रखें और दीपक का मुंह दक्षिण में रखें. ऐसा कहा जाता है कि देहली पर इस दिन भोग की थाली और दक्षिण मुख दीपक रखने से पूरे वर्ष अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है।
This year there is a lot of confusion regarding the festival of Dhanteras. The festival of Dhanteras is celebrated every year on the Trayodashi Tithi of Krishna Paksha of Kartik month. The five-day Diwali festival will start from Saturday, October 22. This year the festival of Dhanteras will be two days. This festival is celebrated as the birth anniversary of Lord Dhanvantari, the chief physician of the gods. There is a tradition of buying gold, silver jewelery and metal utensils on the day of Dhanteras. It has been said in the scriptures that with this happiness and prosperity remain in the house, prosperity comes and Mata Mahalakshmi is pleased.
This time Dhan Trayodashi, Kartik Krishna Trayodashi is being held on Saturday at 4:13 pm and will remain till 4.45 pm on Sunday, 23 October. On this occasion, most of the people buy things according to their beliefs in the auspicious time. This includes idols of Lord Ganesha and Goddess Lakshmi, gold and silver ornaments, metal utensils, Sriyantras and some special things like vehicles, land, flats etc. Worship Dhanteras on 22 October only
The worship of Dhanteras should be done on 22 October i.e. Saturday. On Dhanteras, Goddess Lakshmi and Kuber are worshiped in the Pradosh period on Trayodashi. This year, the auspicious time of Lakshmi Puja is being made on October 22 during Pradosh period in Trayodashi Tithi. For this reason Dhanteras or Dhan Trayodashi should be worshiped on 22 October. On October 22, the auspicious time of worship of Dhanteras will be from 07:01 in the evening to 08.17 in the night. You will have one hour and 15 minutes to worship Dhanteras. Only by worshiping Dhanteras in the auspicious time, Dhana Lakshmi resides here throughout the year and provides happiness and prosperity and the troubles that come by merely offering prayers are automatically redressed. When to shop on Dhanteras?
You can do shopping on Dhanteras on both 22 October and 23 October. But keeping in mind the Trayodashi date, shop after 4.13 pm on Saturday and before 4.45 pm on Sunday, 23 October. However, if you are buying vehicles or iron articles, then buy on Sunday only because buying iron items on Saturday is not considered auspicious. Dhanteras worship method
On the day of Dhanteras, after taking bath before sunrise in the morning, get purified and worship of Dhanteras is considered in Pradosh period. It has also been said that the material presented on the day of Dhanteras during the Pradosh period does not lead to premature death, so we should worship God with the law.
The worship method of Dhanteras is as follows. During Pradosh period, spread red cloth over a post and place Lord Ganesha, Kuber, Dhanvantari and Lakshmi ji on that platform and simultaneously light a Karmang lamp filled with ghee. Set up a vase. A coconut should be placed on it and it should be adorned with five types of leaves, and worshiping the Lord with rituals by placing Kanku, Abir, Gulal, Vermilion, Turmeric and Rice and Pachrangi thread on the Janeu plate.
First of all, keep betel nut rice, Kanku, Abir, Gulal, vermilion, turmeric and a flower in your hand, make the resolution of the Lord by saying Om Vishnuvarvishnu. After that, bathe Lord Kuber, Lakshmi, Ganesh and Dhanvantari ji 4 times. After bathing them with Panchamrit, offer a pair of Janeu to Lord Dhanvantari and Lord Ganpati and after offering jaggery or sweets according to your ability, after lighting 13 earthen lamps, worship their lamp with Kanku Abir Gulal rice, and in the end perform aarti of Mahalakshmi ji. . After that, in the evening, place a plate of bhog with an earthen lamp on the main door of the house and keep the face of the lamp in the south. It is said that keeping a plate of bhog on this day and a south facing lamp on the doorstep does not prevent the fear of premature death throughout the year.