सभी दोस्तों को नरक चतुर्दशी छोटी दीपावली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं……………..।..
नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा। इस दिन सूर्योदय से पहले उठने और स्थान करने का महत्त्व है। इससे मनुष्य को यम लोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है।
: नरक चतुर्दशी मनाने के पीछे है यह कहानी, भगवान कृष्ण से है खास संबंध
दिवाली से एक दिन पहले आज देश भर में छोटी दिवाली मनाई जा रही है जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य नरक में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है साथ ही अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के बारे में अन्य खास बातें क्यों कहते हैं छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी
नरकासुर का आतंक
विष्णु और श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार नरकासुर नामक असुर ने अपनी शक्ति से देवी-देवताओं और मानवों को परेशान कर रखा था। असुर ने संतों के साथ 16 हजार स्त्रियों को भी बंदी बनाकर रखा था। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता और ऋषि-मुनियों ने भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आकर कहा कि इस नरकासुर का अंत कर पृथ्वी से पाप का भार कम करें।
नरकासुर को मिला था यह शाप
भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नरकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया लेकिन नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का शाप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया। जिस दिन नरकासुर का अंत हुआ, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी।
भगवान कृष्ण की 16 हजार पटरानियों का सच
नरकासुर के वध के बाद श्रीकृष्ण ने कन्याओं को बंधन से मुक्त करवाया। मुक्ति के बाद कन्याओं ने भगवान कृष्ण से गुहार लगाई कि समाज अब उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगा, इसके लिए आप कोई उपाय निकालें। हमारा सम्मान वापस दिलवाएं। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से 16 हजार कन्याओं से विवाह कर लिया। 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में घर-घर दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
इसलिए महिलाएं करती हैं 16 श्रृंगार
भगवान कृष्ण ने इस दिन 16 हजार कन्याओं का उद्धार किया, इसी खुशी में इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और 16 ऋृंगार करने से रूप सौन्दर्य और सौभाग्य बढ़ता है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।
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यह काम करने से नहीं जाना पड़ता यम लोक
नरक चतुर्दशी के दिन इस दिन सूर्योदय से पहले उठने और स्नान करने का महत्व है। इससे मनुष्य को यम लोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है। कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए, फिर भी इस तिथि विशेष को शरीर में तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिणाभिमुख होकर दिए गए मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन तिलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
इन मंत्रों का किया जाता है जप
ॐ यमाय नमः, ॐ धर्मराजाय नमः, ॐ मृत्यवे नमः, ॐ अन्तकाय नमः, ॐ वैवस्वताय नमः, ॐ कालाय नमः, ॐ सर्वभूतक्षयाय नमः, ॐ औदुम्बराय नमः, ॐ दध्नाय नमः, ॐ नीलाय नमः, ॐ परमेष्ठिने नमः, ॐ वृकोदराय नमः, ॐ चित्राय नमः, ॐ चित्रगुप्ताय नमः
शाम को ऐसे जलाएं दीप
संध्या के समय देवताओं का पूजन कर दीपदान करना चाहिए। नरक निवृत्ति के लिए चार बत्तियों वाला दीपक पूर्व दिशा में मुख कर के घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए। मंदिरों, रसोईघर, स्नानघर, देववृक्षों के नीचे, नदियों के किनारे, चहारदीवारी, बगीचे, गोशाला आदि स्थान पर दीपक जलाना चाहिए। विधि-विधान से पूजा करने वाले सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।
Wishing all friends a very Happy Narak Chaturdashi Choti Deepawali…..
Narak Chaturdashi is called the festival of salvation. On this day Lord Krishna killed Narakasura. Hence this Chaturdashi was named as Naraka Chaturdashi. On this day it is important to get up before sunrise and do a place. Due to this man does not have to see Yama Lok.
This story is behind celebrating Narak Chaturdashi, there is a special relation with Lord Krishna
A day before Diwali, Choti Diwali, also known as Narak Chaturdashi, is being celebrated across the country. There is a law to worship Lord Krishna, Yamraj and Bajrangbali on this day. It is believed that worshiping on this day saves a person from the tortures found in hell and also protects from premature death. Let’s know other special things about Narak Chaturdashi, why Choti Diwali is called Narak Chaturdashi
terror of narakasura
According to Vishnu and Shrimad Bhagwat Purana, a demon named Narakasura had harassed the deities and humans with his power. The Asuras had taken 16 thousand women captive along with the saints. When his tyranny increased a lot, the gods and sages came in the shelter of Lord Krishna and said that by ending this Narakasura, reduce the burden of sin from the earth.
Narakasura got this curse
Lord Krishna assured him to get rid of Narakasura but Narakasura was cursed to die at the hands of a woman, so Lord Krishna made his wife Satyabhama the charioteer and killed Narakasura with her help. The day Narakasura ended, that day was the Chaturdashi of the Krishna Paksha of Kartik month.
The truth of Lord Krishna’s 16 thousand wives
After killing Narakasura, Shri Krishna freed the girls from bondage. After liberation, the girls pleaded with Lord Krishna that the society would never accept them now, for this you should find some way. Get our respect back. In order to give respect to these girls in the society, Lord Krishna married 16 thousand girls with the help of Satyabhama. The tradition of door-to-door lamp donation started to commemorate the liberation of 16 thousand girls and the killing of Narakasura.
That’s why women do 16 makeup
Lord Krishna delivered 16 thousand girls on this day, in this happiness, women do 16 makeup on this day. Narak Chaturdashi is also known as Roop Chaturdashi. On this day, taking bath by mixing medicine in water and doing 16 rings, it is said that the beauty and good fortune increases.
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Yama Lok does not have to go by doing this work
On the day of Narak Chaturdashi, it is important to wake up before sunrise and take a bath. Due to this man does not have to see Yama Lok. Oil should not be applied in the month of Kartik, yet on this particular date one should bathe with oil on the body. After bathing, wearing pure clothes, applying tilak and facing south, one should give three tilanjali with each name tilak with the given mantras. This is called Yama-Tarpan. By this the sins of the whole year are destroyed.
These mantras are chanted
ॐ Yamaya Namah, ॐ Dharmarajaya Namah, ॐ Mrityave Namah, ॐ Antakaya Namah, ॐ Vaivasvata Namah, ॐ Kalaya Namah, ॐ Sarvabhutakshaya Namah, ॐ Audumbaraya Namah, ॐ Dadhnaya Namah, ॐ Nilaya Namah, ॐ Parameshthi Namah, ॐ Vrikodara Namah, ॐ Chitraya Namah Namah, ॐ Chitraguptaya Namah
Light a lamp like this in the evening In the evening, after worshiping the deities, lamp should be donated. For retiring from hell, a lamp with four lights should be placed at the main entrance of the house, facing east. Lamps should be lit in temples, kitchen, bathroom, under deity trees, on the banks of rivers, boundary walls, gardens, cowsheds etc. Those who worship according to law get free from all sins and attain heaven.