जीवन की खुशी शांति किस मे है
हम समझते हैं। हमारे पास बहुत अधिक होगा तभी खुशी मिलेगी। आवश्यकता से अधिक भौतिकता हमारे दुख का कारण है। हम देखते और सोचते हैं मै सबकुछ करता हूँ। फिर भी घर में शांति नहीं दिखती है। हम जब बहुत अधिक बाहर रहते हैं। तब हमे घर में निरसता दिखती है क्योंकि मन को बाहर की habbit पङ गयी है। वास्तविक जीवन से ऐसे में हम बहुत दूर है। हमारा वास्तविक मे कोन है घर घर के सदस्य वे हमें नीरस क्यों दिखते हैं। क्योंकि बाहर एक बनावटी पन है जो आपकी ऊपरी बढाई करता है और आप उसमें बह जाते हो। वास्तव में घर के सदस्य चाहे कुछ भी कहे वह फोरमलटी नहीं करते हैं वे सत्य रूप मे आपसे प्रेम करते हैं।उनके व्यवहार में अपनापन है प्रेम है। दिखावट नहीं है। उनके शब्दो में बाहरी मीठास नहीं है। प्रेम में समर्पण होगा दिखावट और झूठ का आपसी सम्बन्ध में महतव नहीं है ।
बहुत से घर के सदस्यों से बहुत सी चीजे और धन लेना और उन्हें ठुकराना उनके जीवन का मकसद होता है। उस फोरमलटी भरे जीवन में हम अपने परिवार की खुशी शांति और प्रेम को खोते जा रहे हैं। हमारा स्वयं का जीवन भी खोखला होता है। घर के सदस्य मे जीवन देखना जीवन की सत्यता है।
जीवन को सभी नहीं पढ सकते हैं जीवन को पढने की कला सभी के पास नहीं होती है। हम देखते हैं बहुत से घरों में बहुत समान दिखाई देता है खुशी नहीं दिखती शान्ति और प्रेम नहीं दिखता है। ऐसा क्यों घर में सबकुछ है फिर खुशी क्यों नहीं है। वे घर को समान से तो भरते हैं खुशी और जीवन की शान्ति को घर में नहीं सजाते हैं। वे अपने मन की खुशी और शान्ति को बाहर friends मे लुटाते है। घर के सदस्यों को थोड़ा सा प्यार देने के लिए तरसाते हैं उनके पास मीठे बोल तभी तक होते हैं जब तक स्वार्थ सिद्ध न हो। वे बाहर गए घुमे फिरे बहुत खुश थे जैसे सारे जंहा की खुशी हमारे पास हो खुश होना खुशी दिखाना दो अलग स्टेज है ।एक प्रसन्न चित्त व्यक्ति को दिखावे की आवश्यकता नहीं है
ऐसे व्यक्ति घर मे कार्य को बोझ समझते हैं। वे कार्य में मन नहीं लगाते हैं। उन्हें घर पर थोङे समय में ही घुटन महसुस होने लगती है। क्योंकि जीवन को हमने अभी तक समझा नहीं है जीवन में खुशी को जब तक भौतिक वस्तु सैर और समाज में ढुढोगे तब तक भीतर से खाली ही रहोगे। जीवन स्थायी होगा तब वह बाहर की चकाचौंध में खुशी की खोज नहीं करेगा। हमारे भीतर खुशियों का भण्डार है हम अपने आप से भी परिचित नहीं हैं मै जीवन में क्या चाहता हूं। हमारा मस्तिष्क एक larg leb top है।उस के अन्दर message जाते ही वह active हो जाता है कार्य करना प्रारंभ कर देता है।हम अपनी power ko जितनी active रखेंगे मन शान्त होगा। आज के जीवन में अधिक स्वतंत्रता होते हुए भी अधीनता दिखाई देती है। हम अपनी design power को खो रहे हैं।मोह में प्रेम नहीं पनपता है जीवन आपका अपना है संभल कर चल अ राही। अपनो की खुशी का महत्व खत्म हो जाता है तब जीवन में नीरसता होगी ही।अपनो में जीवन की खुशी खोजना हम भुलते जा रहे हैं अपने जीवन को देखते परखते रहे मेरे जीवन मे क्या घटित हो रहा है। जय श्री राम अनीता गर्ग