दिल की आंखों से देख बिहारी जी कंहा नहीं है। बिहारी जी को जंहा पर बैठ कर पुकारो दिल के द्वार पर बिहारी जी दस्तक दे देते हैं। बिहारी जी को हमे नैनो में बिठाना आ जाएगा उस दिन हर भाव में बिहारी जी है।
हमने बिहारी जी से प्रेम तो किया पर हम यह ही समझते रहे बिहारी जी वृन्दावन में विराजते हैं। हमारे बिहारी जी हमारे भगवान नाथ श्री हरि हमारी सांसो में विराजते हैं मै अपने परमात्मा से बात करती हूं। मै किसी की भी सेवा करती हूँ तो वास्तव में मेरे स्वामी भगवान् नाथ श्री हरि के चरणों की सेवा कर रही हूं। हम घर में सेवा करते हुए भाव बनाये ये मेरे ठाकुरजी है मै ठाकुरजी जी की चरण सेवा कर रही हूं। सेवा करते हुए प्रभु प्राण नाथ के प्रेम हृदय में भादिल में प्रभु प्राण नाथ के प्रेम भाव प्रकट हो रहा है।
ऐसे ही अपने घर के किसी सदस्य का हम सिर दबाते है तब भाव की दृढता बनी रहे ये परम तत्व परमात्मा है मै अपने स्वामी श्री हरि के चरणों की सेवा कर रहा हूं।
हम लाखों बार भगवान की सेवा करते हैं। सेवा करते हुए प्रभु प्राण नाथ का प्रेम हृदयमें प्रकट हो जाता है। भक्त के दिल में भगवान बस जाते हैं तब हर क्षण भक्त भगवान के साथ सम्बन्ध बना लेता है। यह एक भक्त के दिल का भगवान के प्रति सेवा भाव है। भक्त ने भगवान के साथ एक पक्का सम्बन्ध बना लिया है।
भक्त की प्रत्येक किरया में भगवान है। भक्त जानता है यह गृहस्थ आश्रम परमात्मा से मिलन का सबसे उत्तम साधन है। भक्त ने अपने भगवान को नियमों की जंजीर में नहीं बांध रखा है। भक्त अपने भगवान से एक पल भी दुर नहीं रहता है ।हर धड़कन पुकारती है तुम चले आओ। एक गृहस्थ सुबह उठते ही नित्य प्रति के कार्य करने लगता है भक्त भगवान को जीवन की किरया शैली में भगवान को बिठाता है। आप समझते हैं मन्दिर में भगवान बैठे यह जीवन जगत भगवान का रूप है। उन सबमें खोजता है।
यह एक सत्य बात है जब मै श्री सीताराम जी की जय हो करने लगी तब मेरा दिल किया मेरे स्वामी भगवान् नाथ को पुष्प भेट कर दु तभी मेरे पति देव पुष्प ही ले आते हैं।
भगवान से कहती प्रभु तुमने पल भर में मेरी भाव को स्वीकार कर लिया जय श्री राम राम राम राम राम राम राम जय श्री राम अनीता गर्ग