कर्म में भगवान छुपे बैठे हैं

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कर्म जीवन की सच्चाई है कर्म में भगवान छुपे बैठे हैं। कर्म करते हुए जितने हम भगवान के नजदीक है उतने हम बैठ कर साधना में नहीं है। कर्म करते हुए कब जगत प्रभु आकर के अपने होने का अहसास करा देंगे। दिल को आनंद से तृप्त कर देंगे। भगवान की स्पर्श लिला बढी अनूठी हैं। स्पर्श लिला में देखने में भक्त कर्म करता है ।अन्तर्मन से भगवान के चिन्तन मन्न और ध्यान में डुबा हुआ है। भगवान कभी वस्तु विशेष मे झलक दिखाते तो कभी भक्त को अपने भावो से आन्नदित करते हैं। रविदास जी कबीर जी ने प्रभु की खोज कर्म करते हुए की है। नाम जप करते हुए कर्म को करते करते कब प्रभु चिंतन में गहरे खो जाते। भगवान लीला कर जाते हैं भक्त कहता है कि हे परम प्रभु ऐसे में मैं तुम्हारा नाम भी नहीं ले सकता हूं। हे भगवान नाथ ये आनंद तुम्हे समर्पित है। हे परम पिता परमात्मा आज दिल चाहता है कि पृथ्वी माता हरी भरी हो जाय और मै अन्तर्मन से तुम्हें पुकारता रहूं ।मेरे प्रभु एक क्षण भर भी मैं तुमको भुलना नहीं चाहता हूं। तुम आते रहो मै पुकारता रहूँ ।जय श्री राम
अनीता गर्ग

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