गहरी निद्रा की अवस्था में आप हैं अर्थात आत्मा है लेकिन वहां पर मन नहीं है, इसलिए गहरी निद्रा की अवस्था में कोई विचार नहीं रहता क्योंकि संकल्प विकल्प करना मन का काम है आत्मा का नहीं।
गहरी निद्रा की अवस्था में आत्मा आनंद स्वरूप है ना इस का जन्म है ना इसका मृत्यु है ।उसी आत्मा से मन का जन्म हो रहा है यही मन इंद्रियों में बैठकर जगत में हर वस्तु प्राप्त करने की इच्छा करता है।इसलिए अपनी बुद्धि में इस बात को समझ गए और अपने अनुभव को जानकर आप मुक्त हो जाएं।क्योंकि आपकी होने की सत्ता है लेकिन मन का नहीं ।बे फालतू के शब्दों में ना उलझे उन शब्दों से ज्ञान सहित विज्ञान आपको नहीं मिलेगा।जैसा कि आपको बताया है।
मुक्त जीते जागते होना चाहिए, क्योंकि आप अजन्मा है आपकी जन्म और मृत्यु नहीं होती तत्वज्ञान ना होने के कारण,इसलिए जन्म और मृत्यु भासती है। जब तक मनुष्य मन के अधीन ना होकर अपने मन को स्वयं के अधीन कर लेगा तभी तो वो इस प्रकृति आत्मा परमात्मा की सच्चाई को जानेगा।और मन को वश में करने का तरीका प्रभु के अभ्यास रूप योग से बस में किया जाता है ऐसा भगवत गीता में भगवान ने कहे है।अतः हम सबको रोज ध्यान योग का अभ्यास करना चाहिए।
|| योगेश्वर भगवन कृष्ण की जय हो ||