हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपनी अन्तरात्मा का पूर्ण रूप से सम्मान करना सीखना होगा । हमें अपने भीतर से ही वह उजाला मिल सकता है, जो हमारे जीवन को सच्चे मायने में आलोकित करे। लेकिन विडम्बना यह है कि अक्सर इस दुनिया में इंसान से अपने हृदय को समझने में भूल होती है ।इसका कारण सिर्फ इतना ही है कि हम हमेशा बाहरी उलझनों में उलझे-फँसे रहते हैं ।जब तक बाहरी उलझनें कम नहीं होतीं , व्यक्तित्व के बंधन ढीले नहीं होते, तब तक आत्मा का गहन रहस्य खुलना आरंभ नहीं होता। जब तक आप उससे अलग एक ओर खड़े नहीं होते, तब तक वह अपने को आप पर प्रकट नहीं करेगी। यह बात समझनी जरूरी है कि बाहरी उलझनों से निजात पाकर ही आप उसे समझ सकेंगे और पथ- प्रदर्शन पा सकेंगे। जब आप अपनी शक्तियों को विकसित कर अपनी इन्द्रियों को विषयभोग की लालसाओं से मुक्त कर पाएँगे, तभी अंतरात्मा के परम ज्ञान मंदिर में प्रवेश मिलेगा और तभी आपको ज्ञान होगा कि आपके भीतर एक ऐसा स्रोत है, जहां से वह वाणी मुखरित होती है, जिसमें जीवन के सभी रहस्यों के अर्थ छिपे हैं ।
जय गुरुदेव
We have to learn to respect our conscience completely to move forward in our life. We can get that light from within ourselves, which will illuminate our life in the true sense. But the irony is that often in this world there is a mistake in understanding our heart from the human being. The only reason for this is that we are always entangled in external entanglements. Until then, the deep secret of the soul does not begin to unravel. She won’t reveal herself to you until you stand aside from her. It is important to understand that only after getting rid of external entanglements, you will be able to understand it and get guidance. When you will be able to develop your powers and free your senses from the cravings for the enjoyment of the senses, only then will you enter the supreme knowledge temple of the soul, and only then will you know that there is a source within you from which the voice is expressed, in which life The meaning of all mysteries is hidden.
Jai Gurudev