ऐरण का विष्णु मन्दिर
ऐरण गांव
सागर जिले
मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश में सागर जिले के सबसे प्राचीन तहसील खुरई से 25 कि. मी. दूर प्रचीनतम और ऐतिहासिक ऐरण नामक स्थल स्थित हैं। बीना और वेतवा नदी के संगम पर स्थित ऐरण का नाम यहां अत्यधिक मात्रा में उगने वाली ‘एराका’ नामक घास के कारण रखा गया है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ऐरण के सिक्कों पर नाग का चित्र होता था जिसके कारण इस स्थान का नामकरण एराका अर्थात नाग से हुआ है जिसे ऐरण नाम से जाना जाता हैं।
यहां गुप्त काल में भगवान विष्णु का एक मंदिर बना था, जिसमें भगवान विष्णु की 8 फुट ऊँची मूर्ति थी । मन्दिर ध्वस्त हो चुका है परंतु आज भी वह मूर्ति ऐरण में स्थित है। मंदिर के गर्भगृह का द्वार तथा उसके सामने खड़े दो स्तंभ आज अवशिष्ट हैं । ऐरण से प्राप्त ध्वंस अवशेषों में गुप्तकाल के भगवान विष्णु का मंदिर तथा उसके दोनों ओर भगवान वराह तथा भगवान नृसिंह के मंदिर प्रमुख है।
भगवान वराह की इतनी बड़ी प्रतिमा भारत में कहीं नहीं है।इसके मुख, पेट, पैर आदि समस्त अंगों में देव प्रतिमाएँ उत्कीर्ण की गई हैं। भगवान विष्णु मंदिर के सामने 43 फुट ऊँचा स्तम्भ आज भी खड़ा है जिस पर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी की 5 फुट ऊँची प्रतिमा उस स्तंभ पर विराजमान है। इन अवशेषों के समीप अनेकों अभिलेख भग्न शिलापट्टों के रूप में पड़े हैं।
एरण के मंदिर समूह को मंदिर-वास्तु का प्राचीनतम रूप माना जा सकता है। मंदिरों के छतें सपाट थीं। आयताकार गर्भगृह में स्थापित देवमूर्ति के साथ समक्ष थोड़ा नीचा द्वार मंडप है। द्वार व स्तंभों को भाँति-भाँति रूप से अलंकृत किया गया है। मंदिर समूह के समीप ही केन्द्रीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा एक चबूतरे के ऊपर चार स्तंभ सुरक्षा की दृष्टि से खड़े किये गये हैं। इस चबूतरे पर कृष्णलीला से संबंधित आकृतियाँ वाले पट्ट लगे हैं। श्री विष्णु मंदिर के सामने बुधगुप्त द्वारा स्थापित गरुड़ स्तंभ सादगीपूर्ण कला का जीता जागता प्रमाण है।