सत्संग का अर्थ संतो का संग है लेकिन हर समय संत नहीं मिलते है हमे अपने आप प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भगवान की लीला नाम सिमरण भजन और स्तुति में मन को लगा कर रखना चाहिए। धीरे-धीरे मन में पवित्रता बनने लगती है हमारे दिल में आन्नद और प्रेम की अनुभूति होती है। हमे जीवन में भगवान स्वामी के रूप में मिल जाते हैं। मानव जीवन की सत्यता पुरण होती दिखाई देती है। जय श्री राम
अनीता गर्ग
प्रभु संकीर्तन 56
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