अपनी मेहनत से मिलेगा

किसी नगर में एक अमीर इंसान रहता था। उसके पास बहुत सारी संपत्ति, बहुत बड़ी हवेली और नौकर-चाकर थे। फिर भी उसके मन में शांति नहीं थी। इलाक़े में एक साधु रहते हैं। वे लोगों को ऐसी सिद्धि देते हैं, जिससे मनचाही चीजें मिल जाती हैं।

वह अमीर आदमी उस साधु के पास गया और उसे प्रणाम करके बोला, महाराज, मेरे पास पैसे की कमी नहीं है, पर मेरा मन बहुत अशांत रहता है। आप कुछ ऐसा उपाय दीजिए कि मेरी अशांति दूर हो जाए।

सेठ ने सोचा कि साधु बाबा उसे कोई ताबीज़ दे देंगे या और कुछ कर देंगे, जिससे उसकी इच्छा पूरी हो जाएगी, लेकिन साधु ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

अगले दिन उन्होंने सेठ को धूप में बैठाए रखा, और स्वयं अपनी कुटिया के अंदर छाँव में जाकर चैन से बैठ गए। गर्मी के दिन थे। सेठ का बुरा हाल हो गया। उसको बहुत गुस्सा आया पर वह उसे चुपचाप पी गया।

दूसरे दिन साधु ने कहा, आज तुम्हें दिन-भर खाना नहीं मिलेगा।

भूख के मारे दिन-भर सेठ के पेट में चूहे कूदते रहे, अन्न का एक दाना भी उसके मुँह में नहीं गया, लेकिन उसने देखा कि साधु ने उसी के सामने बैठकर बड़े आनंद से भोजन किया। सेठ सारी रात परेशान रहा। उसे एक क्षण भी नींद नहीं आई। वह सोचता रहा कि साधु तो बड़ा स्वार्थी है।

तीसरे दिन सवेरे ही उठकर उसने अपना बिस्तर बांधा और चलने को तैयार हो गया। तभी साधु उसके सामने आकर खड़े हो गए और बोले, सेठ क्या हुआ?

सेठ ने कहा, ‘मैं यहां बड़ी आशा लेकर आपके पास आया था, लेकिन मुझे यहां कुछ नहीं मिला, उल्टा मुझे ऐसी मुसीबतें उठानी पड़ी, जो मैंने जीवन में कभी नहीं उठाई। मैं जा रहा हूँ।’

साधु हंसकर बोले, ‘मैंने तुझे इतना कुछ दिया, पर तूने कुछ भी नहीं लिया।

सेठ ने आश्चर्य से साधु की ओर देखा और बोला, ‘आपने तो मुझे कुछ भी नहीं दिया।’

साधु ने कहा, ‘सेठ पहले दिन जब मैंने तुझे धूप में बैठाया और ख़ुद छाँव में बैठा रहा तो इसके जरिए मैंने तुझे बताया कि मेरी छाँव तुम्हारे काम नहीं आ सकती।

जब मेरी बात तुम्हारी समझ में नहीं आई, तो दूसरे दिन मैंने तुझे भूखा रखा और ख़ुद खूब अच्छी तरह खाना खाया। उससे मैंने तुझे समझाया कि मेरे खा लेने से तुम्हारा पेट नहीं भर सकता।

सेठ, याद रखो मेरी साधना से तुझे सिद्धि नहीं मिलेगी।

अध्यात्म एक ऐसी राह है,जहां मंजि़ल तक पहुँचने के लिए खुद ही यात्रा करनी पड़ती है। मैं तुझे राह बता सकता हूँ,लेकिन चलना तुझे खुद ही होगा। धन तूने खुद अपने पुरुषार्थ से कमाया है और शांति भी तुझे अपने ही पुरुषार्थ से मिलेगी। सेठ की आंखें खुल गई और उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता मिल गया।

जय श्री राधे कृष्ण

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