जहां भगवान ने मइया यशोदा को मुख में दिखा दिया समस्त ब्रह्मांड
भगवान कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने पधारते है। लेकिन आज भगवान का मन खेलने में नहीं है। भगवान बोले की माखन तो बहुत खायो है और अंदर से पेट भी चिकनो हो गयो है। जैसी सफाई मिट्टी से हो सकती है और किसी चीज से नहीं हो सकती।
भगवान ने मिट्टी उठा कर मुँह में रख ली। भगवान को मिट्टी खाते हुए श्रीदामा ने देख लिए और बोले की क्यों रे कनवा तूने मिट्टी खाई?
भगवान के मुँह में मिट्टी थी, बोल तो सकते नही थे तो भगवान ने गर्दन हिला कर ना में जवाब दिया।
श्रीदामा बोले ये ऐसे नही बतावेगो। श्रीदामा ने बलराम जी को बुला लिए और बलराम ने पूछा- क्यों रे लाला, तेने माटी खाई?
भगवान ने फिर से ना में गर्दन हिलाकर जवाब दिया। और कहा की इसे आज मैया के पास ले चलो। पहले ये माखन चुरा के खाता था और अब मिट्टी भी खाने लगा है।
तो दो सखाओ ने भगवान के हस्त कमल पकडे और दो सखाओ ने चरण कमल पकडे। और डंडा डोली, झूला झुलाते हुए करते हुए लेके माँ के पास गए।और मैया के पास जाकर बोले
तेरे लाला ने माटी खाई, यशोदा सुन माई
सुनत ही माटी को नाम
ब्रजरानी दौड़ी आई
और पकड़ हरी को हाथ, कैसे तूने माटी खाई?
तो तुनक तुनक तुतलाय के हूँ बोले श्याम
मैंने नाही माटी खाई नाहक लगायो नाम।।
भगवान कहते है मैया मैंने माटी नहीं खाई? ये सब सखा झूठ बोल रहे है।
माँ बोली ,लाला एक संसार में तू ही सचधारी पैदा हुआ है बाकि सब झूठे है? आज मैं तेरे को सीधो कर दूंगी।
तो माँ हाथ में एक लकड़ी लेकर आई और भगवान को डरने लगी।जब भगवान ने माँ के हाथो में लकड़ी देखि तो झर-झर भगवान की आँखों से आंसू टपकने लगे।
राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा गुरुदेव, जिनकी एक भृकुटि टेढ़ी हो जाये तो काल भी डर जाता है। लेकिन आज माँ के हाथ में लकड़ी देख कर भगवान की आँखों से आंसू आ रहे है। क्यों
नन्द बाबा और यशोदा एक परिचय)
ये नन्द और यशोदा कोन है? जिनको भगवान ने इतना बड़ा अधिकार दे दिया?
शुकदेव जी कहते है परीक्षित, पूर्व जन्म में ये द्रोण नाम के वसु थे और इनकी पत्नी का नाम था धरा। ये निःसंतान थे।और इन्होने भगवान की तपस्या की। भगवान प्रकट हो गए और बोले की आप वर मांगिये।
तो इन्होने कहा भगवान, आप हमे ये वरदान दीजिये की हमे आपकी बाल लीला का दर्शन हो।हमे इस जन्म में सब कुछ मिला लेकिन हमारे संतान नही हुई। तो हम आपकी बाल लीला देखना चाहते है।
भगवान बोले की, कृष्णावतार में आप मेरी बाल लीला का दर्शन करोगे।
ये द्रोण, नन्द बाबा बने और उनकी पत्नी धरा ही यशोदा है। दोनों को भगवान अपनी बाल लीला का दर्शन करवा रहे है।
*माँ पूछ रही है तेने माटी खाई?*
*भगवान कहते है नही खाई मैया , मैंने माटी नाही खाई।*
*हाथ में लकड़ी लेके माँ डरा रही है। भगवान ने कहा यदि मैया तेरे को मो पर विश्वास नही है तो मेरा मुख देख ले। साँच को आंच कहाँ*
तो छोटो सो मुखारविंद कृष्ण हूँ ने फाड़ दियो।
भगवान ने अपना छोटा सा मुँह खोला।
माँ यशोदा को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दर्शन
और माँ मुँह में झांक-कर देखती है तो आज सारे ब्रह्माण्ड का दर्शन माँ को हो रहा है। केवल ब्रह्माण्ड ही नही गोकुल और नन्द भवन का दर्शन कर रही है। और नन्द भवन में कृष्णा और स्वयं का दर्शन भी माँ को हो रहा है।
अब माँ बोली की मेरे लाला के मुँह में अलाय-बलाय कहाँ से आ गई?
थर थर डर के माँ कांपने लगी।
भगवान समझ गए आज माँ ने मेरे ऐश्वर्ये का दर्शन कर लिया है कहीं ऐसा ना हो की माँ के अंदर से मेरे लिए प्रेम समाप्त ना हो जाये। और मैं तो ब्रजवासियों के बीच प्रेम लीला करने आया हूँ।
क्योंकि जहाँ ऐश्वर्ये है वहां प्रेम नही है। ऐसा सोचकर भगवान मंद मंद मुस्कराने लगे। भागवत में भगवान की हंसी को माया कहा है। भगवान ने माया का माँ पर प्रभाव डाला और जब थोड़ी देर में माँ ने आँखे खोली।
तो भगवान अपनी माँ से पूछने लगे मैया तेने हमारे मुख में माटी देखि?
माँ बोली की सब जग झूठो केवल मेरो लाला सांचो। भगवान की मुस्कराहट से माँ सब कुछ भूल गई।
जहाँ यह लीला हुई वह स्थान आज भी गोकुल में यमुना किनारे ब्रह्माण्ड घाट के नाम से प्रसिद्ध है ।वहां आज भी ब्रह्मांड बिहारी जी के मंदिर में माटी का भोग लगता है। साल भर भक्तों की भीड़ यहां दर्शन करने आती है।चौरासी कोस यात्रा का यह प्रमुख तीर्थ है
Where God showed the entire universe to Mother Yashoda.
Lord Krishna comes to the Gopis every day to steal butter. But today God is not in the mood to play. God said that you have eaten a lot of butter and your stomach has become smooth from inside. Just like cleaning can be done with soil and cannot be done with anything else. God picked up the soil and placed it in his mouth. Sridama saw the Lord eating mud and said, O Kanva, why did you eat mud?
There was mud in God’s mouth and he could not speak, so God shook his head and replied in the negative.
Shridama said, you will not tell this like this. Shridama called Balram ji and Balram asked – Why oh Lala, did you eat the soil?
God again shook his head in no and replied. And said take him to mother today. Earlier he used to eat butter by stealing it and now he has started eating soil also.
So two friends held the lotus hands of the Lord and two friends held the lotus feet. And he went to his mother carrying a stick, a swing and a swing. And he went to his mother and said
Your son ate soil, Yashoda listen to me Just listen to the name of the soil Brajrani came running And hold Hari’s hand, how did you eat the soil? So I am a stammerer, said Shyam. I have not eaten any soil, put unnecessary names on it. God says mother, I did not eat soil? All these friends are lying.
Mother said, Lala, in this world you are the only one born with truth and all the others are liars? Today I will set you straight. So mother came with a stick in her hand and started fearing God. When God saw the wood in mother’s hands, tears started dripping from God’s eyes.
King Parikshit asked Shukdev ji, Gurudev, if one eyebrow becomes crooked then even death gets scared. But today God has tears in his eyes after seeing the wood in mother’s hand. Why Nand Baba and Yashoda An Introduction) Who are these Nand and Yashoda? To whom God has given such great authority?
Shukdev ji says Parikshit, in his previous birth he was a Vasu named Drona and his wife’s name was Dhara. He was childless and did penance to God. God appeared and said that you should ask for a boon.
So they said, Lord, please grant us this boon that we may have the darshan of your childhood. We got everything in this birth but we did not have children. So we want to see your childhood play.
God said, you will see my child’s play in Krishna avatar.
This Drona became Nand Baba and his wife Dhara was Yashoda. God is giving darshan of his childhood to both of them.
*Mother is asking, did you eat soil?* *God says I did not eat mother, I did not eat soil.*
*Mother is scaring me with wood in her hand. God said, Mother, if you do not have faith in me then see my face. Where is the heat on the mold?
So little mouthpiece Krishna tore me.
God opened his small mouth.
Mother Yashoda saw the entire universe
And when mother looks into her mouth, today she can see the entire universe. Not only the universe but she is seeing Gokul and Nand Bhavan. And mother is also seeing Krishna and herself in Nand Bhavan.
Now mother asked, where did the alay-balay come into my Lala’s mouth?
Mother started trembling with fear.
God understood that today mother has seen my majesty, lest she lose her love for me. And I have come to make love among the people of Braj.
Because where there is wealth there is no love. Thinking this, God started smiling softly. In Bhagwat, God’s laughter is called Maya. God influenced the mother with Maya and after some time the mother opened her eyes.
So God started asking his mother, Mother, did you see the dirt in our mouth?
Mother said that the whole world is a liar, only my Lala Sancho. Mother forgot everything with God’s smile. The place where this leela took place is still famous by the name of Brahmand Ghat on the banks of Yamuna in Gokul. Even today, soil is offered in the temple of Brahmand Bihari ji. Crowds of devotees come here to visit throughout the year. This is the main pilgrimage of Chaurasi Kos Yatra.