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मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मन्त्र विज्ञान का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे मन व तन पर पड़ता है। मन्त्र का जाप एक मानसिक क्रिया है। कहा जाता है कि जैसा रहेगा मन वैसा रहेगा तन। यानि यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य है तो हमारा शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा।
मन को स्वस्थ्य रखने के लिए मन्त्र का जाप करना आवश्यक है। ओम् तीन अक्षरों से बना है। अ, उ और म से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है। जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस देने वाले ओम् के उच्चारण करने मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं व व्याधियों का नाश होता है।
सृष्टि के आरंभ में एक ध्वनि गूंजी ओम और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। इसलिए ओम को सभी मंत्रों का बीज मंत्र और ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है।
इस मंत्र के विषय में कहा जाता है कि, ओम शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से शरीर में मौजूद आत्मा जागृत हो जाती है और रोग एवं तनाव से मुक्ति मिलती है।
इसलिए धर्म गुरू ओम का जप करने की सलाह देते हैं। जबकि वास्तुविदों का मानना है कि ओम के प्रयोग से घर में मौजूद वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है।
ओम मंत्र को ब्रह्माण्ड का स्वरूप माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि ओम में त्रिदेवों का वास होता है इसलिए सभी मंत्रों से पहले इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है जैसे
ओम नमो भगवते वासुदेव, ओम नमः शिवाय।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह माना जाता है कि नियमित ओम मंत्र का जप किया जाए तो व्यक्ति का तन मन शुद्घ रहता है और मानसिक शांति मिलती है। ओम मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है और मुक्ति पाने का अधिकारी बन जाता है।
वैदिक साहित्य इस बात पर एकमत है कि ओ३म् ईश्वर का मुख्य नाम है। योग दर्शन में यह स्पष्ट है। यह ओ३म् शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है- अ, उ, म। प्रत्येक अक्षर ईश्वर के अलग अलग नामों को अपने में समेटे हुए है। जैसे “अ” से व्यापक, सर्वदेशीय, और उपासना करने योग्य है। “उ” से बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाइयों का मूल, और नियम करने वाला है।
“म” से अनंत, अमर, ज्ञानवान, और पालन करने वाला है। ये तो बहुत थोड़े से उदाहरण हैं जो ओ३म् के प्रत्येक अक्षर से समझे जा सकते हैं। वास्तव में अनंत ईश्वर के अनगिनत नाम केवल इस ओ३म् शब्द में ही आ सकते हैं, और किसी में नहीं।
१. अनेक बार ओ३म् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनावरहित हो जाता है।
२. अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ओ३म् के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं!
३. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
४. यह हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
५. इससे पाचन शक्ति तेज होती है।
६. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
७. थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
८. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
९ कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मजबूती आती है।
इत्यादि!
ॐ के उच्चारण का रहस्य-
ॐ है एक मात्र मंत्र, यही है आत्मा का संगीत। ओम का यह चिन्ह ‘ॐ’ अद्भुत है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार, फैलाव और फैलना। ओंकार ध्वनि के १०० से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है।
ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त ‘ओ’ पर ज्यादा जोर होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। यही है √ मंत्र बाकी सभी × है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। अनाहत अर्थात किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है।
तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।
साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते रहना।
त्रिदेव और त्रेलोक्य का प्रतीक-
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोग का प्रतीक है।
बीमारी दूर भगाएँ-
तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर कं, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं।
सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
उच्चारण की विधि-
प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण ५, ७, १०, २१ बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।
इसके लाभ-
इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं। इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव-
प्रिय या अप्रिय शब्दों की ध्वनि से श्रोता और वक्ता दोनों हर्ष, विषाद, क्रोध, घृणा, भय तथा कामेच्छा के आवेगों को महसूस करते हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में ‘टॉक्सिक’पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरहआल्हादकारी रसायन की वर्षा करती है।
कम से कम १०८ बार ओम् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है। कुछ ही दिनों पश्चात शरीर में एक नई उर्जा का संचरण होने लगता है। ओम् का उच्चारण करने से प्रकृति के साथ बेहतर तालमेल और नियन्त्रण स्थापित होता है। जिसके कारण हमें प्राकृतिक उर्जा मिलती रहती है। ओम् का उच्चारण करने से परिस्थितियों का पूर्वानुमान होने लगता है।
ओम् का उच्चारण करने से आपके व्यवहार में शालीनता आयेगी जिससे आपके शत्रु भी मित्र बन जाते है। ओम् का उच्चारण करने से आपके मन में निराशा के भाव उत्पन्न नहीं होते है।
आत्म हत्या जैसे विचार भी मन में नहीं आते है। जो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते है या फिर उनकी स्मरण शक्ति कमजोर है। उन्हें यदि नियमित ओम् का उच्चारण कराया जाये तो उनकी स्मरण शक्ति भी अच्छी हो जायेगी और पढ़ाई में मन भी लगने लगेगा।
।। श्री परमात्मने नमः ।।
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The act of pronouncing words by controlling the mind is called mantra. Mantra science has the greatest impact on our mind and body. Chanting of mantra is a mental activity. It is said that as the mind remains, the body will remain the same. Means if we are mentally healthy then our body will also be healthy.
To keep the mind healthy, it is necessary to chant the mantra. Om is made of three syllables. This word made of A, U and M is omnipotent. The power to live life and the indomitable courage to face the challenges of the world, simply chanting Om destroys various types of problems and diseases.
In the beginning of creation, a sound Om echoed and its echo spread throughout the universe. In Puranas such a story is found that Lord Shiva, Vishnu and Brahma appeared from this word. That’s why Om is called the seed mantra of all mantras and the mother of sounds and words.
It is said about this mantra that, just by regular chanting of the word Om, the soul present in the body gets awakened and gets rid of diseases and stress.
That’s why religious gurus advise to chant Om. While Vastu experts believe that the Vastu defects present in the house can also be removed by the use of Om.
Om mantra is considered to be the form of the universe. From religious point of view, it is believed that Tridev resides in Om, so this mantra is chanted before all other mantras like Om Namo Bhagavate Vasudev, Om Namah Shivay.
From a spiritual point of view, it is believed that if Om Mantra is chanted regularly, a person’s body and mind remain pure and one gets mental peace. By chanting Om Mantra, man reaches closer to God and becomes eligible for liberation.
Vedic literature is unanimous that Om is the main name of God. This is clear in yoga philosophy. This word Om is made up of three letters- A, U, M. Each letter contains different names of God in itself. Like “A” is wider, cosmopolitan, and worthy of worship. From “U” is intelligent, subtle, the root of all goodness, and the ruler.
From “M” is infinite, immortal, knowledgeable, and follower. These are just a few examples that can be understood from each syllable of Om. In fact the innumerable names of the infinite God can appear only in this word Om, and in no other.
1. By chanting Om many times, the whole body becomes relaxed.
2. If you are nervous or impatient, nothing better than chanting Om!
3. It removes the toxic elements of the body, that is, controls the substances produced due to stress.
4. It balances the heart and blood flow.
5. This makes digestion power faster.
6. Due to this, there is communication of youth energy again in the body.
7. There is no better way than this to save from fatigue.
8. The problem of not getting sleep goes away in no time. By doing this in your mind till you fall asleep at night, you will definitely sleep.
9 Doing this with some special pranayama strengthens the lungs. And so on!
The secret of pronouncing Om
Om is the only mantra, this is the music of the soul. This symbol of Om ‘Om’ is wonderful. It is the symbol of the entire universe. Many Akash Ganges are spread like this. Brahma means expansion, expansion and spread. More than 100 meanings of Omkar sound have been given. It symbolizes the state of eternal and infinite and Nirvana.
Om is called Om. In that also there is more emphasis on ‘O’ while speaking. It is also called Pranav Mantra. This is the √ mantra, all else is ×. This mantra has a beginning, not an end. It is the eternal sound of the universe. Anahat means no sound produced by any kind of clash or combination of two things or hands. It is also called Anahad. It continues unceasingly throughout the universe.
Ascetics and meditators, when in a deep state of meditation, heard that there is such a sound which is heard continuously both inside and outside the body. Everywhere, the same sound continues continuously and by listening to it the mind and soul feel at peace, so they named that sound as Om.
Ordinary man cannot hear that sound, but whoever keeps on chanting Om, positive energy starts developing around him. Still, to hear that sound, it is necessary to be completely silent and in meditation. Whoever starts listening to that sound starts connecting directly with the divine. The simple way to connect with the divine is to keep chanting Om.
Symbol of Tridev and Trelokya-
The word Om is made up of three sounds – A, U, M. The meaning of these three sounds also comes in the Upanishads. It is also the symbol of Brahma, Vishnu and Mahesh and it is the symbol of Bhu:loka, Bhuva:loka and Swarga people.
drive away the disease
One letter mantras also have special importance in Tantra Yoga. Each word of the Devanagari script has been given the form of a mantra by applying Anuswar. For example, Kan, Khan, Gam, Ghan etc. Similarly, Shree, Kleen, Hreen, Hoon, Phat etc. are also counted in monosyllabic mantras.
The pronunciation of all mantras is possible by the combined effect of the air coming out of the tongue, lips, palate, teeth, throat and lungs. The sound emanating from it strikes all the chakras and hormone secreting glands of the body. Diseases can be driven away by controlling the secretion of these glands.
method of pronunciation
Wake up early in the morning and become pure and chant Omkar sound. Om can be pronounced while sitting in Padmasan, Ardhapadmasan, Sukhasan, Vajrasan. You can pronounce it 5, 7, 10, 21 times according to your time. Om can speak loudly, can speak slowly. Om can be chanted with rosary also.
Its benefits-
This will help in concentrating the body and mind. Heart beat and blood circulation will be regular. This cures mental diseases. The power to work increases. Both the one who pronounces it and the one who hears it are benefited. Purity is taken care of in its pronunciation.
Fluctuations of impulses in the body-
Both the hearer and the speaker feel impulses of joy, sadness, anger, hatred, fear and libido at the sound of pleasant or unpleasant words. Feelings of lust, anger, attachment, fear, greed etc. generated in the brain by the sound emanating from unpleasant words make the heart beat faster due to which ‘toxic’ substances start to be produced in the blood. Similarly, the sound of dear and auspicious words showers blissful chemicals like nectar on the brain, heart and blood.
By chanting Om at least 108 times, the whole body becomes tension free. After a few days, a new energy starts being transmitted in the body. Chanting Om establishes better coordination and control with nature. Because of which we keep getting natural energy. Circumstances start being predicted by pronouncing Om.
Pronouncing Om will bring decency in your behavior due to which even your enemies become friends. Pronouncing Om does not generate feelings of despair in your mind.
Even thoughts like suicide do not come to mind. Children who do not concentrate on studies or their memory power is weak. If they are made to chant Om regularly, then their memory power will also improve and their mind will also start to study.
।। Ome Sri Paramatmane.