भगवान को भाव से भजे हे प्रभु हे दीनदयाल हे दीनानाथ हे प्राण नाथ तुम मेरे स्वामी भगवान् नाथ हो ये नाम जप जो मै करता हूं। ये मै नहीं हूं। मैंने अपने आपको बहुत ठोक ठोक कर देख लिया है। मुझमें मै नहीं हूं। अन्दर बैठकर स्वामी नाम धुन सुनाते हैं।
अनेकों वीणाए हर क्षण बज रही है मै अन्दर देखती हूं। लाखो नाम ध्वनि अन्दर बज रही है। साज सज रहे हैं। अन्दर की नाम ध्वनि मै नहीं प्रकट कर रही हूं। उस ध्वनि को स्वामी भगवान नाथ प्रकट कर रहे हैं। जब हम कर्म करते हैं। तब कार्य करते हुए बाहर और भीतर की ध्वनि से मिलन होता है। ध्वनि की एक रूपता में प्रेम छुपा हुआ है।
Many veenas are playing every moment I look inside. The sound of lakhs of names is playing inside. Dressing up. I am not revealing the inner name sound. Swami Bhagwan Nath is manifesting that sound. when we act. Then there is a union of the outside and the inner sound while working. Love is hidden in a form of sound.