पल पल खुली और बन्द आंखों से प्रभु प्राण नाथ को निहारता है। मौन रहकर भी बोलता है बोलते हुए भी चुप है। भक्त की दशा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। भक्त क्षण क्षण में हे मेरे नाथ हे स्वामी हे भगवान राम हे मेरे जीवन जगत की ज्योति तुम मुझे दिखाई क्यो नहीं देते। हा नाथ क्या तुम मुझे भुल ही गए। मेरे स्वामी प्रभु भगवान नाथ एक बार तो दर्श दो। तुम मेरे प्राण आधार हो। कभी अपने स्वामी को आंखों में बसा कर आंखें बन्द कर लेता है। तुम मेरे राम भगवान हो। मैं तुम्हारी कैसे वन्दना करू मै समझ नहीं पाती हूं। दिल की हर धड़कन स्वामी भगवान नाथ की पुकार कर रही। स्वामी की टोह दिल में उत्तर जाती है तब वह दिवारों तक से पुछता है क्या तुमने मेरे प्राण प्रभु को देखा है। मेरे सर्वस्व भगवान जगत के पिता जगत का पालन करना वाले अनेक रूप धरते हुए भी एक है। वे मुझे पुरण दर्शन देंगे भी या जीवन व्यर्थ ही चला जाएगा। हे नाथ अब मैं पुरणत तुम्हारी बन जाना चहती हूँ। अब ये आंखें किसी और को देखना नहीं चाहती । तुम भी मुझे बहुत तङफाते हो।
हे भगवान कभी कभी तुम्हारी ये मोटी मोटी आंखे दिल मे बैठ जाती है। कभी तुम मुस्कराते हो तो दिल में ठण्डक मिलती है। लेकिन मैं पगली तुम्हारी मुस्कान में खो जाती हूं। स्तुति करने के लिए शब्द भी नहीं मिलते। दिल मे स्वामी बैठे हो तब शब्द नहीं मौन भाव उमङते है।हे भगवान नाथ एक ही विनती और स्तुति हैं। कि तुम दिल में आंखों में बस जाओ। हे प्रभु हे भगवान नाथ हे स्वामी हे दीनदयाल क्या मैं तुम्हारा सच्चा चिन्तन कर पाऊगी।तुम मुझे पुरण दर्शन क्यो नही देते। हे भगवान अब ये दिल मेरे बस का नही रहा। इसमे तुम बस गए हो। ये तुम्हारा हो गया है। हे स्वामी इस आत्मा के प्रियतम तुम ही हो ।जय श्री राम।
अनीता गर्ग
भक्त की भगवान से पुकार 2
Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email