हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद 🌹🙏
बिना श्रद्धा के विस्वास नही, विस्वास के बिना भक्ति नहीं,
भक्ति के बिना प्रेम नहीं,
प्रेम बिना वैराग्य नहीं
वैराग्य के बिना ज्ञान नहीं
ज्ञान के बिना विज्ञान नहीं
विज्ञान के बिना त्याग नहीं
त्याग के बिना मुक्ति नहीं
मुक्ति के बिना ईश्वर की कृपा नही ईश्वर की कृपा ही प्रेम है।जो भक्त के हृदय में वो धारा बहती है।वो प्रेम की धारा ही राधा है।
जो भगवान को वश में कर लेती है। भगवान भक्त की भक्ति के वश होकर उसके झूठे बेर,विदुरानी के केले के छिलके,सुदामा के चिउड़ा,ओर विधुर के घर का साग, धन्ना जाट की बाजरे की रोटी चटनी खाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
वो भक्त की भक्ति के वश होकर उनके चरण धोते हैं।
उनके चरण दबाते हैं।
ईश्वर की अनुकूलता (कृपा)से ही गुरु से मिलना होता है।
गुरु बिना ज्ञान नहीं, गुरू बिना भक्ति नहीं , गुरू बिना मुक्ति नही, गुरू बिना स्व स्वरूप का बोध नही ये सभी केवल ओर केवल श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर है।
जिसके भीतर परमात्मा के लिए
One Response
I relish how your writing authentically reflects your individual personality. It makes me feel connected to you.