हे प्रभो,हे विश्वम्भर,हे दीनदयाल ,हे कृपा सिन्धु,हे सर्वशक्तिमान,आपको प्रणाम है प्रणाम है,प्रणाम है।
हे प्रभु न मै योग जानता हुँ,न ज्ञान जानता हुँ,न ही भक्ति जानता हुँ, हे नाथ मै जैसा भी हुँ आपका ही हुँ।
हे प्रभो, आप सब की आत्मा समदर्शी हो । सब की आत्मा आनंद के साक्षात्कार हो, आप ही परम शिवम है। हे नाथ ़आप में यह मेरा है, यह दूसरा है,यह अपना है,यह पराया है। इस प्रकार का भेदभाव आप में नहीं है फिर भी जो आपको सेवा करते हैं उनको उनकी भावना के अनुसार फल मिलता है
हे नाथ आपकी शरण मे आया हुँ कृपा करो प्रभु आप मे प्रिती हो जाए मै आपको न भुल नाथ दुखः सुख मे आपकी स्मृति बनी रहे ।मै आपका हुँ आप ही मेरे है।आपको न भुलु शक्ति देना शक्ति देना ।आपको बारम्बार प्रणाम है प्रणाम है।
O Lord, O Vishwambhar, O Deendayal, O Kripa Sindhu, O Almighty, I salute you, I salute you, I salute you. O Lord, neither do I know yoga, nor do I know knowledge, nor do I know devotion, Oh Lord, whatever I am, I am yours. O Lord, may all of you have an equanimous soul. Everyone’s soul should be blessed with bliss, you are the ultimate Shivam. O Lord, in you this is mine, this is another, this is ours, this is alien. You don’t have this kind of discrimination, yet those who serve you get the fruits according to their feelings. O Nath, I have come in your refuge, please Lord, may I fall in love with you, Nath, may you remember me in sorrow and happiness. I am yours, you are mine. .