हम मन्दिर में भगवान् से प्रार्थना करने आते हैं। हमारी आन्तरिक प्रार्थना होती है कि हे प्रभु प्राण नाथ स्वामी भगवान् हम सब शिश झुकाकर वन्दना करते रहे तु मेरा भगवान् नाथ है हम सांस सांस से तुम्हारी स्तुति करते रहे। हे भगवान् मै तुम्हारे दर पर अन्तिम सांस तक आती रहु। मै मन से बुढ़ापे को पीछे छोड़ दु। हे परमात्मा जी तुम मेरे अंदर विराज मान हो तुम मेरे साथ खड़े हो तो मेरे ऊपर बुढापा आ ही नही सकता। हे प्रभु, हे स्वामी भगवान् नाथ तुम मेरे राम जी हो, तुम्ही मेरे कृष्ण जी हो। तुम मुझे कुछ भी नहीं देना चाहे बस मुझे अपने पास बुलाते रहना। मै तुम्हारे पास धुप दिप लेकर अपने पैरों से चलकर अन्तिम सांस तक तेरे द्वार पर आऊ। मेरे मन में तुम उमंग और भक्ति का दीप जलाए रखना। ये सांस निकले तेरे दर पर तुम हो सामने मेरे जब निकले अन्तिम सांस मेरी हमे अपने भगवान् से बस यहीं एक प्रार्थना करनी है। भगवान जी तुम मेरे परमात्मा हो, तुम मेरी आत्मा हो, तुम्हीं मेरे गुरू हो मैंने अपना दिल तुम्हारे चरणों में समर्पित कर दिया है।तुम मुझे कब अपने दर्शन दे ओगे भक्त कहता हे नाथ मै तुम्हारे भीतर जो छिपा हुआ है उसे देखना चाहता हूँ तुम मुरत नहीं हो तुम हदय को आकर्षित कर कर छुप जाते हो। बार बार बुलाते हो फिर छिप जाते हो। भक्त मंदिर में अपने आप को भुल जाता है इसकी सार सम्भाल करना प्रभु प्राण नाथ आपका काम है। मेरा काम मेरे प्रभु भगवान को निहारना है। मै हर पल तुम्हारे चिंतन में डुबी रहु।भक्त कहता है भगवान जी मै आप को जानना चाहता हूं। मुझे दिन भर आपकी सेवा में लगाए रखो। भगवान् जी आपके आगमन पर मेरा कोई भी कार्य मेरा नहीं है। शरीर जनीत क्रिया कर्म भी मेरे नहीं है।मै भी मै नहीं हूं। ये मुझे मेरे स्वामी भगवान् नाथ दिखाई दे रहे हैं।मेरी सखियों ने ये सब संजो रखा है। तभी सर्दी गर्मी के मौसम में भगवान उन्हें अपने दर पर आने की उमंग देते हैं।मेरी बहनों से प्रार्थना है कि अपने मन से इस भय को निकाल कर भगवान पर हम विस्वास करे। भगवान् पर जो विस्वास करता है। उसे भगवान भव सागर से पार कर देते हैं। जय श्री राम जय श्री कृष्ण
अनीता गर्ग
We come to the temple to pray to God. It is our inner prayer that O Lord Pran Nath Swami God, we all kept bowing our heads and worshiping you, you are my Lord Nath, we kept praising you with breath. Oh Lord, I keep coming at your rate till my last breath. I leave old age behind my heart. Oh God, you are sitting inside me, if you stand with me, then old age cannot come on me. Oh Lord, O Swami Bhagwan Nath You are my Ram Ji, You are my Krishna Ji. You don’t want to give me anything, just keep calling me to you. I will walk with my feet by taking incense to you and come to your door till my last breath. You keep the lamp of zeal and devotion in my heart. This breath came out at your rate, when you came out in front of me, when my last breath came out, I just have to pray to our God here. Lord, you are my God, you are my soul, you are my teacher, I have dedicated my heart to your feet. Lord Nath is the one who fills the love, satisfaction and renunciation in the heart. It is your job, Lord Pran Nath, to take care of its essence. My work is to behold my Lord God. May I be immersed in your contemplation every moment. The devotee says, Lord, I want to know you. Keep me at your service all day long. Lord, none of my work is mine on your arrival. The body-made actions are also not mine. I am also not me. This is visible to me my lord Bhagwan Nath. My friends have kept all this. Only then, in the winter and summer season, God gives them the zeal to come at their own rate. I pray to my sisters that by removing this fear from our mind, we should believe in God. One who believes in God. Lord Bhava crosses it from the ocean. Jai Shri Ram Jai Shri Krishna
Anita Garg