परमात्मा से प्रार्थना

जिस सँसार सागर में लोभ की लहर एक रस है, हे परमात्मा उसमें मेरा शरीर डूब रहा है। इस सँसार सागर से हे मेरे प्यारे परमात्मा तार ले। हे मेरे बाप बीठला ! तार ले। तृष्णा रूपी हवा के कारण शरीर रूपी बेड़ा (नाव, जहाज) डोल जाता है और मैं इस बेड़े को चला नहीं सकता, क्योंकि में निर्बल हूँ। हे परमात्मा ! आपका अंत किसी ने नहीं पाया। हे परमात्मा ! तूँ मुझ पर दया करके सतिगुरू से मिला दे और मुझे सँसार सागर से पार कर दे। नामदेव जी कहते हैं कि हे परमात्मा ! मैं तैरना नहीं जानता अर्थात ज्ञानहीन हूँ, परमात्मा मुझे ज्ञान रूपी बाँह पकड़ा दे।

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