।। नमो राघवाय ।।
आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।
आजु सुफल जप जोग बिरागू।।
सफल सकल सुभ साधन साजू।
राम तुम्हहि अवलोकत आजू।।
लाभ अवधि सुख अवधि न दूजी।
तुम्हरे दरस आस सब पूजी।।
अब करि कृपा देहु बर एहू।
निज पद सरसिज सहज सनेहू।।
करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।
तब लगि सुखु सपनेहुँ नहीं किएँ कोटि उपचार।।
(श्रीरामचरितमानस- २ / १०६ / ५ – ८; १०७)
भावार्थ-
भरद्वाजजी कहते हैं- हे राम ! आपका दर्शन करते ही आज मेरा तप, तीर्थसेवन और त्याग सफल हो गया। आज मेरा जप, योग और वैराग्य सफल हो गया और आज मेरे सम्पूर्ण शुभ साधनों का समुदाय भी सफल हो गया।
लाभ की सीमा और सुख की सीमा (प्रभु के दर्शन को छोड़कर) दूसरी कुछ भी नहीं है। आपके दर्शन से मेरी सब आशाएँ पूर्ण हो गयीं। अब कृपा करके यह वरदान दीजिये कि आपके चरणकमलों में मेरा स्वभाविक प्रेम हो।
जब तक कर्म, वचन और मन से छल छोड़कर मनुष्य आपका दास नहीं हो जाता, तब तक करोड़ों उपाय करने से भी, स्वप्न में भी वह सुख नही पाता।
।। जय भगवान श्री ‘राम’ ।।
।। Namo Raghavaya.
Today, leave the successful penance and pilgrimage. Aaj sufal jap jog biragu।।
Successful gross good means Saju. Ram, I have seen you today.
The profit period does not give way to the happiness period. All my hopes are worshiped by you.
Now please give me your blessings. I love my post easily.
When words of karma leave your mind, I will deceive your beloved. Then I started having happy dreams, no matter how many treatments were done. (Shri Ramcharitmanas- 2 / 106 / 5 – 8; 107)
gist- Bhardwajji says- Hey Ram! As soon as I saw you, my penance, pilgrimage and sacrifice became successful. Today my chanting, yoga and renunciation became successful and today my community of all auspicious means also became successful.
There is no limit to profit and no limit to happiness (except the darshan of the Lord). All my hopes were fulfilled by your darshan. Now please grant me this boon that I may have natural love for your lotus feet.
Until a man becomes your slave by giving up deceit in his actions, words and mind, he does not find happiness even in his dreams, despite taking millions of measures.
, Jai Lord Shri ‘Ram’.