प्रेम का होना एक दुर्लभ खिलावट है।

मैंने एक वृद्ध झेन फकीर के बारे में सुना है। वह मृत्यु शैया पर पड़ा हुआ था। उसकी अंतिम श्वासें चल रही थीं। उसने घोषणा कर दी थी कि शाम तक वह नहीं रहेगा। इसलिए उसके शिष्यों, मित्रों, प्रेमियों और कई चाहने वालों का आना-जाना शुरू हो गया। दूर-दूर से अनेक लोग एकत्रित हो गए।

उसके पुराने शिष्यों में से एक ने जब यह सुना कि सदगुरु की मृत्यु होने जा रही है, तो वह बाजार की ओर दौड़ा। किसी ने उससे पूछा : ‘सदगुरु तो अपनी झोपड़ी में हैं, फिर तुम बाजार क्यों जा रहे हो?’

उस शिष्य ने उत्तर दिया- ‘मेरे सदगुरु एक विशेष तरह के केक को बहुत पसंद करते हैं, इसलिए मैं वही केक खरीदने जा रहा हूं।’

उस केक को खोज पाना बहुत कठिन था, क्योंकि अब वह चलन से बाहर हो गया था, कहीं भी आसानी से मिलता नहीं था। लेकिन किसी प्रकार उसने शाम तक उस केक की व्यवस्था कर ली। वह केक लेकर दौड़ता हुआ आया। प्रत्येक व्यक्ति चिंतित था, ऐसा लग रहा था जैसे मानो सदगुरु किसी व्यक्ति के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। वे अपनी आंखें खोलकर देखते थे और फिर आंखें बंद कर लेते थे। जब उनका यह शिष्य आया तो उन्होंने कहा : ‘तो तू आ ही गया। केक कहां है!’

शिष्य ने केक प्रस्तुत कर दिया और वह बहुत प्रसन्न था कि सदगुरु ने केक के लिए पूछा। मरते हुए सदगुरु ने केक अपने हाथों में लिया, लेकिन उनके हाथ बिल्कुल भी नहीं कांप रहे थे। वे बहुत वृद्ध थे, लेकिन फिर भी उनका हाथ नहीं कांप रहा था। इसलिए किसी व्यक्ति ने उनसे पूछा : ‘आप इतने अधिक वृद्ध हैं और मृत्यु की कगार पर खड़े हैं। आपकी आखिरी सांस बस छूटने ही वाली है, लेकिन आपका हाथ नहीं कांप रहा है!’

सदगुरु ने कहा : ‘क्योंकि मैं कभी भी नहीं कांपा, चूंकि मुझे कभी कोई भय नहीं रहा। मेरा शरीर बूढ़ा हो गया है, लेकिन मैं अभी भी युवा हूं और मैं तब तक युवा बना रहूंगा, जब तक यह शरीर न मर जाए।’

तब गुरु ने केक का एक टुकड़ा खाना शुरू कर दिया। किसी व्यक्ति ने उनसे पूछा : ‘प्यारे सदगुरु! आपका अंतिम संदेश क्या है? आप शीघ्र ही हमसे विदा ले लेंगे। आप हमसे क्या चाहते हैं जिसका हम स्मरण रखें।’

सदगुरु मुस्कराए और कहा : ‘ओह! यह केक कितना अधिक स्वादिष्ट है।’


यह एक ऐसा व्यक्ति है, जो यहीं और अभी में जीता है : ‘यह केक बहुत स्वादिष्ट है।’ मृत्यु भी उसके लिए असंगत है। अगला क्षण अर्थहीन है। इस क्षण में तो बस… यह केक बहुत अधिक स्वादिष्ट है।

यदि तुम इस क्षण में, वर्तमान क्षण में, उस क्षण की उपस्थिति में प्रचुर समृद्धि के साथ बने रह सकते हो, केवल तभी तुम प्रेम कर सकते हो। प्रेम एक दुर्लभ खिलावट है और वह केवल कभी-कभी ही घटती है। लाखों-करोड़ों लोग इस झूठी दृष्टि के साथ जीते हैं कि वे प्रेमी हैं। वे विश्वास करते हैं कि वे प्रेम करते हैं, लेकिन यह केवल उनका विश्वास है।

प्रेम का होना एक दुर्लभ खिलावट है। यह कभी-कभी ही घटती है। यह दुर्लभ इसलिए है, क्योंकि यह केवल तभी घटित हो सकती है जब कोई भय न हो और पहले भी कभी न रहा हो। इसका अर्थ है कि प्रेम केवल उन्हीं लोगों को घटित हो सकता है, जो बहुत गहराई तक आध्यात्मिक और धार्मिक हों।



I have heard about an old Zen monk. He was lying on his death bed. His last breaths were going on. He had announced that he would not be there till evening. So his disciples, friends, lovers and many admirers started coming and going. Many people gathered from far and wide.

When one of his old disciples heard that Sadhguru was going to die, he ran to the market. Someone asked him: ‘Sadhguru is in his hut, then why are you going to the market?’

The disciple replied- ‘My Sadhguru likes a special kind of cake very much, so I am going to buy that cake.’

It was very difficult to find that cake, as it was now out of fashion, not easily available anywhere. But somehow he arranged that cake till evening. He came running with the cake. Everyone was worried, it was as if Sadhguru was waiting for someone to come. He looked with his eyes open and then closed his eyes. When this disciple of his came, he said: ‘So you have come. Where’s the cake?’

The disciple presented the cake and was very happy that Sadhguru asked for the cake. Dying, Sadhguru took the cake in his hands, but his hands were not trembling at all. He was very old, but still his hand was not trembling. So someone asked him: ‘You are so old and are on the verge of death. You are about to take your last breath, but your hand is not trembling!’

Sadhguru said: ‘Because I have never trembled, because I have never had any fear. My body has become old, but I am still young and I will remain young till this body dies.’

Then the master started eating a piece of cake. Someone asked him: ‘Dear Sadhguru! What is your last message? You will soon bid us farewell. What do you want us to remember?

Sadhguru smiled and said: ‘Oh! This cake is so delicious.’

This is a man who lives here and now: ‘This cake is very tasty.’ Even death is irrelevant to him. The next moment is meaningless. In this moment it’s just… This cake is so delicious.

If you can remain in this moment, in the present moment, in the presence of the moment with abundant richness, only then can you love. Love is a rare blossom and it happens only occasionally. Millions and millions of people live with the false vision that they are lovers. They believe they love, but it is only their belief.

To be in love is a rare blossom. It happens only occasionally. It is rare because it can only happen when there is no fear and has never been there before. This means that love can happen only to people who are deeply spiritual and religious.

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