सरयू जल साक्षात परम ब्रह्म है जो मोक्ष प्रदान करता है।
रामजी के बालरूप के लिए धरती पर अवतरित हुई सरयू वशिष्ट की पुत्री थी जिस कारण से भगवान राम उन्हे
अपनी बहन मानते थे ।
सरयू नदी के बारें में धार्मिक मान्यता यह है कि वे भगवान श्रीराम की बाल लीला का दर्शन करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। कई पौराणिक आख्यान यह बताते है कि सरयू का अवतरण गंगा से पहले हुआ था। सरयू जल को सक्षात ब्रह्म स्वरुप बताया जाता है।अयोध्या में भगवान का पूजन अर्चन बिना सरयू जन के सम्भव नहीं है। इस कारण अयोध्या के किसी भी मंदिर में प्रवेश से पहले सरयू का दर्शन तथा स्नान आवश्यक होता है।
पौराणिक आख्यानों में सरयू को बह्मचारिणी बताया गया है। इसके जल में स्नान कर वह तीर्थ भी पाप मुक्त हो जाते है तो दूसरो को पापमुक्त करते थे। सरयू नदी के बारें मे लिखा गया है कि :-
जलरुपेण ब्रम्हैव सरयू मोक्षदा सदा।
नैवात्र कर्मषो रामरुपो भवेन्नरः।।
अर्थात:- सरयू जल रुप सक्षात परम बह्म है जो हमे मोक्ष प्रदान करती है। महाभारत,भीष्मपर्व,मे सरयू का नामोल्लेख इस प्रकार है:-
हस्यां शतकुभां च सरयूं च तथैव चए
चर्मण्वतीं वेत्रवतीं हस्तिसोमां दिश्र तथा।
श्रीमद्भागवत,मे भारत की नदियों में
सरयू का वर्णन इस प्रकार है:-
यमुना सरस्वती दृषद्वती गोमती सरयू।
रामचरितमानस में सरयू की महत्ता का
उल्लेख करते हुए गोस्वामी जी ने लिखा है :-
अवधपुरी मम पुरी सुहावनि।
उत्तर दिश बह सरयू पावनी।।
रामचरित मानस में गोस्वामी तुुलसीदास जी ने इस चोपाई के माध्यम से सरयू नदी को अयोध्या की प्रमुख पहचान के रूप में प्रस्तुत किया है। रामायण काल में सरयू कोसल जनपद की प्रमुख नदी थी। सरयू नदी का ऋग्वेद में उल्लेख है और यह कहा गया है कि यदु और तुर्वसु ने इसे पार किया था।पाणिनि नेअष्टाध्यायी,में सरयू का नामोल्लेख किया है।
पद्मपुराण के उत्तरखंड, में भी सरयू
नदी का माहात्म्य वर्णित है।
लोक भाषा में कहा जाता है कि:-
*
सरयू में नित दूध बहत है मूरख जाने पानी।
अर्थात पावन सलिला सरयू में निरंतर दूग्ध रूपी अमृत बह रहा है मूर्ख जिसे पानी समझते है।वाल्मीकी रामायण तथा अन्य पौराणिक आख्यानों के अनुसार ब्रह्माजी ने अपने मनोयोग से हिमालय पर्वत में रमणीय क्षेत्र में एक सरोवर का निर्माण किया। जिस सरोवर का नाम मानस -सरोवर पड़ा। इस सरोवर से निकली नदी सरयू नाम से लोक प्रसिद्ध हुई। जिसका गोस्वामी तुलसीदास जी ने इनका उद्बोधन मानस नंदनी नाम से भी किया।
सरयू मानसरोवर से पहले कौड़याली नाम धारण करके बहती है। फिर इसका नाम सरयू और अंत में इसे घाघरा या घर्घरा के नाम से जाना जाता है। सरयू छपरा बिहार के निकट गंगा में मिलती है। गंगा-सरयू संगम पर चेरान नामक प्राचीन स्थान है। कालिदास ने सरयू, जाह्नवी संगम को तीर्थ बताया है। यहां दशरथ के पिता अज ने वृद्धावस्था में प्राण त्याग दिए थे।
तीर्थे तोयव्यतिकरभवे जह्नुकन्यारव्वो
देंहत्यागादमराणनालेखयमासाद्य सद्यः।
तत्समय सम्भवत: उपरोक्त तीर्थ चेरान के निकट रहा होगा। सरयू नदी अयोध्यावासियों की बड़ी प्रिय नदी रही है। कालिदास के रघुवंश् में राम सरयू को जननी के समान ही पूज्य कहते हैं। सरयू के तट पर अनेक यज्ञों के रूपों का वर्णन कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंश, में किया है ।
जलानि या तीरनिखातयूपा
बहत्ययोष्यामनुराजधानीम्।
महाभारत केअनुशासनपर्व,में सरयू की उत्पत्ति मान सरोवर से माना गया है। अध्यात्म रामायण् में भी इसी सरयू महिमा में लिखा गया है। कि:-
एषा भागीरथी गंगा दृश्यते लोकपावनी,
एषा सा दृश्यते सीते सरयूर्यूपमालिनी।
|| सरयू महारानी की जय हो ||
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Saryu Jal Sakshat is the ultimate Brahman who gives salvation. Sarayu was the daughter of Vashisht who incarnated on earth for Ramji’s child form, because of which Lord Ram gave her
Considered his sister.
The religious belief about river Saryu is that she descended on the earth to see the childhood pastimes of Lord Shriram. Many mythological stories tell that Sarayu descended before the Ganges. Saryu water is said to be the form of Brahma. Worship of God in Ayodhya is not possible without Saryu people. For this reason, before entering any temple of Ayodhya, it is necessary to see and bathe in Saryu.
In mythological stories, Sarayu has been described as Brahmacharini. By bathing in its water, those pilgrims also become free from sins, and then they used to free others from their sins. It has been written about Saryu river that: –
Brahma in the form of water, Sarayu, always gives liberation. No man can be in the form of Rama by his actions here
That is:- Sarayu water form is the supreme Brahman which gives us salvation. In the Mahabharata, Bhishma Parva, Sarayu is mentioned as follows:-
Hasya and Shatakubha and Sarayu and so on The elephant moon with leather and cane and the direction.
In the rivers of India in Shrimad Bhagwat The description of Saryu is as follows: –
Yamuna Saraswati Drishadwati Gomti Saryu. Importance of Sarayu in Ramcharitmanas Mentioning this, Goswami ji has written: –
Avadhpuri Mam Puri Suhavani. Uttar Dish Bah Saryu Pavani.
In Ramcharit Manas, Goswami Tulsidas ji has presented Saryu river as the main identity of Ayodhya through this chopai. Saryu was the main river of Kosala district during the Ramayana period. The river Sarayu is mentioned in the Rigveda and it is said that Yadu and Turvasu crossed it. Panini mentions Sarayu in the Ashtadhyayi.
Sarayu in Uttarakhand of Padmapuran, also The greatness of the river is described.
In folk language it is said that:- , Milk flows daily in Saryu, fools don’t know water.
That is, nectar in the form of milk is continuously flowing in the holy Salila Saryu, which the fools consider as water. According to Valmiki’s Ramayana and other mythological stories, Brahmaji created a lake in the delightful area in the Himalayan Mountains with his mind. The lake whose name was Manas-Sarovar. The river that originated from this lake became famous by the name of Saryu. Whose Goswami Tulsidas ji also addressed him by the name of Manas Nandani.
Saryu flows before Mansarovar by taking the name of Kaudayali. Then its name is Saryu and finally it is known as Ghaghra or Gharghara. The Saryu joins the Ganges near Chhapra, Bihar. There is an ancient place named Cheran at the confluence of Ganga-Saryu. Kalidas has described Saryu, Jahnavi Sangam as pilgrimage. Here Dasaratha’s father Aj gave up his life in old age.
Jahnukanyaravvo in the holy place where water is transmitted He immediately reached the inscription of the immortals who gave up his body
At that time, probably the above pilgrimage would have been near Cheran. Saryu river has been a very favorite river of the people of Ayodhya. In the Raghuvansh of Kalidas, Ram Sarayu is called as worshipable as the mother. Kalidas has described the forms of many sacrifices on the banks of Sarayu in his epic Raghuvamsa.
Jalani or Tirnikhatyupa The capital of the flowing women.
In Mahabharata’s discipline festival, the origin of Saryu is believed to be from Maan Sarovar. In Adhyatma Ramayana also this Sarayu has been written in glory. That:-
This Bhagirathi Ganga appears to be the purifier of the world, O Sita this is that garland of Sarayu flowers
, Hail to Saryu Maharani ||