फ्रांसकी विशाल सेनाने स्पेनके जारगोजा नगरको घेर लिया। नागरिकोंने प्राणरक्षाका कोई उपाय न देखकर किलेमें एकत्र होना उचित समझा। आक्रमणकारियोंने किलेमें खाद्य पदार्थ जानेसे रोक दिया। लोग भूखों मरने लगे। अन्तमें उन्होंने सामूहिक मोर्चेकी व्यवस्था की। फ्रांसके सेनापति लफबोरके सैनिक बड़ी तत्परता से गोली बरसा रहे थे। नागरिकोंका मुखिया था जोजडे पेलफाक्स मेलजी
यह नहीं कहा जा सकता था कि विजयी किस पक्षके लोग होंगे, पर फ्रांसके सैनिकोंमें विशेष उत्साह था। उन्हें आशा थी कि हमलोग विजयी होंगे।
‘मैं आ गयी, घबराओ नहीं, वीर! सत्य हमारी ओर है।’ उसने सहसा बंदूक अपने हाथमें ली घायल सैनिकके हाथसे, जो शत्रुकी गोलीका निशाना बनकर अपना अन्तिम श्वास तोड़नेके लिये बंदूकपर गिर पड़ा था। फ्रांसकी सेनाको विश्वास हो गया था कि उसके प्राणान्तसे किलेपर अधिकार हो जायगा। वह द्वाररक्षक था।
‘यह कौन आ गयी। कितना भीषण युद्ध कर रही है। यह तो साक्षात् रणकी देवी ही है।’ फ्रांसका सेनापति बोल उठा ।’मैं मृत्यु हूँ तुमलोगोंकी। तुम जारगोजाके किलेका मोह छोड़ दो। स्पेनका प्रत्येक व्यक्ति इसके सम्मानमें प्राण न्यौछावर कर देगा।’ मेरिया अगस्टीनके शब्द थे। वह शत्रुओंपर धूआँधार गोली बरसा रही थी किलेके प्रधान दरवाजेसे। कुमारीकी वीरता देखकर शत्रु आश्चर्यमें पड़ गये।
‘तुम जारगोजाकी देवी हो, अगस्टीन ! शत्रु किलेपर अधिकार कर लेते यदि तुमने अचानक अपना कर्तव्यपालन न किया होता।’ जारगोजा मोर्चेके सेनापतिने मेरियाके प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
‘यह तो मेरा सत्कर्तव्य था, सेनापते! अपने देशके अन्नजलसे पले शरीरका इससे बढ़कर दूसरा उपयोग ही क्या होता कि वह स्वतन्त्रताके नामपर युद्धको अग्नि-विभीषिकामें स्वाहा हो जाय।’ अल्पवयस्क नगरकन्याकी बातसे लोग प्रसन्न हो उठे।
‘देवी अगस्टीनकी जय।’ नागरिकों और सैनिकोंने मेरियाका अभिनन्दन किया। स्पेनके मध्यकालीन इतिहासमें जारगोजाकी देवी
मेरिया अगस्टीनका नाम अमर है। -रा0 श्री0
The huge army of France besieged the city of Zaragoza in Spain. Seeing no way to save lives, the citizens thought it appropriate to gather in the fort. The invaders stopped food from going to the fort. People started dying of hunger. In the end, he arranged for a collective front. The soldiers of French commander Loughbour were firing with great readiness. The head of the citizens was Jojde Pelfax Melji.
It could not be said which side would be victorious, but there was special enthusiasm among the French soldiers. He hoped that we would be victorious.
‘I have come, don’t worry, Veer! Truth is on our side.’ He suddenly took the gun in his hand from the wounded soldier, who had fallen on the gun to take his last breath after being hit by the enemy’s bullet. The French army was convinced that the fort would be captured by his death. He was the gatekeeper.
‘Who has come? She is waging such a fierce battle. She is actually Ranaki Devi.’ The commander of France spoke up. ‘I am the death of you people. You leave the fascination of Jargoja’s fort. Every Spaniard would lay down his life in its honour.’ These were the words of Mary Augustine. She was raining bullets on the enemies from the main gate of the fort. Enemies were surprised to see the valor of the virgin.
‘You are Jargoza’s goddess, Augustine! The enemy would have captured the fort if you had not suddenly performed your duty.’ The commander of the Zaragoza Front expressed his gratitude to Meria.
‘It was my duty, Commander! What other use could there be for a body fed with the food and water of our country than to die in the fierce battle of the war in the name of freedom.’ People were pleased with the words of the minor city girl.
‘Hail to the goddess Augustine.’ Citizens and soldiers greeted Marya. The goddess of Zaragoza in the medieval history of Spain
The name of Mary Augustine is immortal. -Ra0 Mr.0