शुभ प्रभातम्
मन भी पानी जैसा ही है, पानी फर्श पर गिर जाए तो कहीं भी चला जाता है, मन भी चंचल है, कभी भी कहीं भी चला जाता है!!
मन को हमेशा सत्संग के साथ जोडे रखना चाहिए, जैसे पानी को फ्रिज में रखने से ठंडा रहता है और आइस बॉक्स रखने से सिमट कर बर्फ में परिवर्तित हो जाता है, वैसे ही मन फ्रिज रूपी सत्संग में ठंडा और शांत रहते हुए सिमटकर परमात्मा में लीन हो जाता है!!
अगर बर्फ को बाहर धूप में रखा तो वह पिघल कर पानी होकर इधर-उधर होकर बिखर जाता है, इसी प्रकार हम भी माया रूपी धूप में सतसंग से दूर होकर बिखर जायेगे, इसलिए जब भी समय मिले सत्संग करके ईश्वर से खुद को जोड कर रखना चाहिए…!!
जय श्री कृष्ण.
good morning Mind is also like water, if water falls on the floor it goes anywhere, mind is also fickle, it goes anywhere anytime!! The mind should always be attached to satsang, just like keeping water in fridge keeps it cool and keeping ice box turns it into ice, similarly the mind remains cool and calm in satsang in the form of fridge and merges in God. It happens!! If snow is kept outside in the sun, it melts into water and scatters here and there, in the same way we will also be scattered away from satsang in the sun of Maya, so whenever you get time, connect yourself with God by doing satsang. Needed…!! Long live Shri Krishna.