विष्णु जी ने दिया था लक्ष्मी जी को श्राप
देवी भागवत पुराण के छठे स्कंद में श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी के पुत्र का वर्णन मिलता है. एक कथा के अनुसार, श्री हरि विष्णु ने लक्ष्मी जी को घोड़ी होने का श्राप दे दिया था. इसके बाद लक्ष्मी जी घोड़ी बन गईं और तमसा-यमुना नदी के संगम पर जाकर रहने लगीं. वहां लक्ष्मी जी ने भगवान शिव जी की आराधना की.
शिवजी ने दिया वरदान
लक्ष्मी जी की भक्ति भावना देखकर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर लक्ष्मी जी को वरदान दिया कि जल्द ही श्री हरि विष्णु उनका सानिध्य प्राप्त करेंगे और उनसे पुत्र की प्राप्ति होगी. इसके बाद भगवान शिव ने अपने चित्ररूप को विष्णु जी के पास भेजा. चित्ररूप ने भगवान विष्णु जी से कहा कि लक्ष्मी जी से भेंट करें. तब विष्णु जी ने कहा कि मैं लक्ष्मी जी से भेंट करने जाऊंगा और शिवजी के वरदान स्वरूप लक्ष्मी जी को वापस लेकर आऊंगा.
श्री हरि पहुंचे मां लक्ष्मी के पास
इसके बाद भगवान विष्णु अश्व का रूप धारण करके तमसा और यमुना नदी के किनारे पहुंच गए, जहां मां लक्ष्मी घोड़ी के रूप में बैठी थीं. मां लक्ष्मी ने घोड़े के रूप में विष्णु जी को पहचान लिया. इसके बाद विष्णु जी और लक्ष्मी जी के संयोग से एक हैहय नाम का बालक उत्पन्न हुआ. उस बालक को विष्णु जी और लक्ष्मी जी जंगल में ही छोड़ कर चले गए. फिर लक्ष्मी जी और विष्णु जी पुन: अपने स्वरूप में आ गए.
विष्णु जी ने राजा हरीवर्मा को सौंप दिया था पुत्र
दूसरी तरफ एक हरीवर्मा नाम का राजा भगवान श्री विष्णु के जैसा बालक प्राप्त करने के लिए विष्णु जी की तपस्या कर रहा था. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने हरीवर्मा को दर्शन दिए और कहा कि मैंने एक पुत्र उत्पन्न किया है, जिसे तुम अपना पुत्र समझ कर ले जाओ. वह बालक तमसा और यमुना नदी के किनारे है. राजा हरीवर्मा बालक को अपने साथ ले गये. आगे चलकर वह बालक एकवीर नाम से प्रसिद्ध हुआ.
Lord Vishnu cursed Lakshmi The description of the son of Sri Hari Vishnu and Maa Lakshmi is found in the sixth skanda of Devi Bhagavata Purana. According to a legend, Shri Hari Vishnu had cursed Lakshmi ji to be a mare. After this Lakshmi ji became a mare and started living at the confluence of Tamsa-Yamuna river. There Lakshmi ji worshiped Lord Shiva.
Shivji gave boon Seeing the devotion of Lakshmi ji, Lord Shiva was pleased and gave a boon to Lakshmi ji that soon Shri Hari Vishnu would get her company and a son would be born from her. After this Lord Shiva sent his image to Lord Vishnu. Chitrarup asked Lord Vishnu to meet Lakshmi. Then Vishnu ji said that I will go to meet Lakshmi ji and bring back Lakshmi ji as a boon of Shivji.
Shri Hari reached to Mother Lakshmi After this, Lord Vishnu assumed the form of a horse and reached the banks of Tamsa and Yamuna rivers, where mother Lakshmi was sitting in the form of a mare. Mother Lakshmi recognized Vishnu in the form of a horse. After this a child named Haihay was born from the union of Vishnu ji and Lakshmi ji. Vishnu ji and Lakshmi ji left that child in the forest. Then Lakshmi ji and Vishnu ji again came in their form.
Vishnu ji handed over the son to King Harivarma On the other hand, a king named Harivarma was doing penance to Lord Vishnu to get a child like Lord Vishnu. Pleased with his penance, Vishnu ji appeared to Harivarma and said that I have given birth to a son, whom you can take as your son. That child is on the banks of Tamsa and Yamuna rivers. King Harivarma took the child with him. Later that child became famous by the name Ekveer.