परमात्माके विश्वासका ताना-बाना
वृन्दावनमें एक जुलाहा था। एक कारीगरके रूपमें वह अत्यन्त भक्त और निष्ठावान् था। गाँवमें उसके समान अन्य कोई कपड़ा नहीं बन सकता था। किंतु वह तभी काम करता था, जब उसे काम करनेकी प्रेरणा होती थी। एक दिन कुछ लोगोंने सोचा कि इस बातका पता लगाया जाय कि उसे अपने कपड़ोंके लिये कहाँ रंग मिलता है, कहाँ रूप (डिजाइन) मिलता है। तथा कहाँसे सुन्दर धागा मिलता है। उन्होंने इस बातका छिपकर पता लगानेके लिये निश्चय किया। उन्होंने देखा कि जुलाहा प्रातः काल उठ गया। उसने यमुनामें स्नान किया तथा अपने साथ जलसे भरे दो घड़े लेकर घर आया। उसने उन दोनों घड़ोंकी सिन्दूर, हल्दी और फूलोंसे पूजा की। इसके बाद उसने श्रीकृष्णकी स्तुति करते हुए कहा- ‘हे प्रभो! मुझे दर्शन दीजिये और अपनी इच्छाके रंग तथा रूपसे मेरे कपड़ोंके स्वरूपका संकेत दीजिये।’ थोड़ी देरमें एक रहस्यमय घटना घटी। एक सुन्दर तितली कहींसे उड़कर आयी। तितलीका रंग गुलाबी था. उसपर सफेद बिन्दियाँ पड़ी थीं। उस
तितलीने दोनों घड़ोंके जलको स्पर्श किया। तितलीके स्पर्श करते ही एक घड़ेका जल गुलाबी हो गया, दूसरेका शुद्ध सफेद । जुलाहा अपना धागा ले आया और बारी-बारीसे उन्हें दोनों रंगोंसे रँग दिया। उस दिन अपने बच्चों और साथियोंके साथ जो कपड़ा उसने बुना, उसका रंग गुलाबी था. उसपर सफेद रंगकी बिंदियाँ पड़ी थीं। इस प्रकार इस कपड़ेका वही रंग था, जो उस तितलीका था, जो उस दिन आयी थी और एकाएक गायब हो गयी थी। बादमें उसने अपने मित्रोंको उनके पूछने पर जीवनका यह रहस्य बताया। उसने कहा कि ‘यह हमारे जीवनका सबसे खुला हुआ रहस्य है। हम जागरूक रहकर उससे माँगें। हमारा व्यवसाय चाहे कोई भी हो, जब हम परमेश्वरके नामसे उसे अर्पित कर देते हैं, तो वह उस कामको पूर्णता प्रदान कर देता है।’
हमें भी यह विश्वास रखना चाहिये कि जिसने जुलाहेके कपड़ोंके लिये रंग दिया, वही परमेश्वर हमारे जीवनके ताने-बाने को भी रँग देगा। [ प्रो0 सुश्री प्रेमाजी पाण्डुरंगन ]
fabric of divine faith
There was a weaver in Vrindavan. As an artisan he was extremely devoted and loyal. No other cloth could be made like it in the village. But he used to work only when he was inspired to work. One day some people thought that it should be ascertained from where he gets the colors and designs for his clothes. And from where do you get beautiful thread. He decided to find out about this secretly. They saw that the weaver got up early in the morning. He took a bath in the Yamuna and came home with two pitchers full of water. He worshiped both those pitchers with vermilion, turmeric and flowers. After this he praised Shri Krishna and said- ‘O Lord! Give me darshan and indicate the nature of my clothes by the color and form of your desire.’ In a short while a mysterious incident happened. A beautiful butterfly flew in from nowhere. The color of the butterfly was pink. White dots were lying on it. that
The butterfly touched the water of both the pitchers. As soon as the butterfly touched the water of one pitcher, it turned pink, while the water of the other turned pure white. The weaver brought his thread and dyed it with both the colors in turn. The color of the cloth she wove with her children and companions that day was pink. There were white colored dots on it. Thus this cloth had the same color as that of the butterfly that had come that day and suddenly disappeared. Later he told this secret of life to his friends on their asking. He said that ‘this is the most open secret of our life’. Let us be aware and ask him. Whatever may be our business, when we offer it in the name of the Supreme Lord, He gives perfection to that work.’
We should also have faith that the same God who dyes the fabric of the weaver, will also dye the fabric of our lives. [ Prof. Ms. Premaji Pandurangan ]