‘मुझे शरण दीजिये, मैं दुर्भाग्यकी मारी एक दीनहीन अबला हूँ।’ एक स्त्रीने फिलस्तीनके महान् संत मरटिनियनसकी गुफाके सामने जोर-जोर से चिल्लाना आरम्भ किया। आधी रात बीत चुकी थी। ऐसे समय में नगरसे दूर निर्जन पहाड़ीपर एक स्त्री की आवाज नही आर्यमयी थी । आकाशमें तारे चमक रहे थे, पर पृथ्वीपर बना अन्धकार था। संत अपनी गुफामें जाग रहे थे; वे उसकी पुकार सुनकर बाहर आये और गुफाके बाहर उसे ठहरनेका स्थान बताकर भीतर चले गये। स्त्रीका नाम ‘जी’ था।
दूसरे दिन प्रातः काल उन्होंने उस रमणीको देखा; वह बड़ी रूपवती भी, उसका शरीर सोनेके आभूषणोंसे सजा था। उसने अपने धन और रूपसे संतको गिराना चाहा और अत्यन्त शिष्ट तरीकेसे घृणित प्रस्ताव उपस्थित किया; संतके मनपर भी उसकी कुप्रवृत्तिका प्रभाव पड़ा। वे उसके जालमें गिरनेवाले ही थे कि अचानक गुफाके बाहर उन्हें कुछ लोगोंको उपस्थितिका संकेत मिला ये दर्शन करनेके लिये नगरसे पहाड़ीपर आये थे। संतने बाहर निकलकर उन्हें उपदेश दिया। स्त्री गुफाके बाहर आ गयी।उपदेश समाप्तकर मरटिनियनसने गुफामें प्रवेश किया। थोड़ी देरमें कराहनेकी आवाज सुन पड़ी। रमणीने भीतर प्रवेश किया और संतके दोनों पैरोंको आगमें जलते देखकर वह चीख उठी। ‘जो’ के अङ्ग प्रत्यङ्ग काँप उठे।
‘बहिन ! इसमें चीखनेकी बात ही क्या है। यदि मैं इस जगत्की साधारण आगकी ज्वाला नहीं सह सकता तो नरककी यातना किस प्रकार झेल सकता हूँ।’ संतके वचनसे रमणीको अपने पाप प्रस्तावपर पश्चात्ताप हुआ; वह उनके पैरोंपर गिर पड़ी।
‘उठो, बहिन ! भगवान्ने हम दोनोंको बचा लिया। वे अपने भक्तकी रक्षा करते हैं। स्त्री-पुरुषका एकान्तका मिलन ही अत्यन्त नाशक है। प्रभुने यात्रियोंको ठीक मौकेपर भेजकर बड़ा अनुग्रह किया संसारमें मनुष्यका पतन धन, स्त्री और मानके कारण होता है। परमात्माने धन और स्त्रीके बन्धनसे मुक्त कर कितनी बड़ी कृपा की।’ संत मरटिनियनस प्रसन्न थे। रमणीके मनमें पवित्र विचार जाग उठे। वह अपने निवास-स्थान सीजरिया नगरमें लौट गयी।
‘Give me shelter, I am a poor helpless child of misfortune.’ A woman started crying loudly in front of the cave of Martinianus, the great saint of Palestine. Half the night had passed. At such a time, the voice of a woman on a deserted hill far away from the city was not relatable. The stars were shining in the sky, but there was darkness on the earth. The sages were awake in their caves; They came out after hearing his call and went inside after telling him the place to stay outside the cave. The name of the woman was ‘Ji’.
The next day in the morning he saw that beauty; She was also very beautiful, her body was decorated with gold ornaments. He wanted to bring down the saint with his wealth and appearance and in a most polite manner presented an abominable proposal; The saint’s mind was also affected by his misbehaviour. They were about to fall into his trap when suddenly outside the cave they got a signal of the presence of some people who had come from the city to the hill to have a darshan. The saint came out and preached to him. The woman came out of the cave. After finishing the sermon, Martinian entered the cave. After a while, the sound of moaning was heard. Ramani entered inside and seeing both the feet of the saint burning in the fire, she cried out. Every part of ‘Jo’ trembled.
‘Sister! What is the point of crying in this? If I cannot bear the flame of the ordinary fire of this world, then how can I bear the torment of hell.’ With the words of the saint, Ramani repented of her sin; She fell at his feet.
‘Get up, sister! God saved both of us. He protects his devotee. The solitary union of a man and a woman is very destructive. The Lord blessed the travelers by sending them at the right time. Man’s downfall in the world is due to money, women and status. What a great grace God has shown us by freeing us from the bondage of money and women.’ Saint Martinianus was pleased. Holy thoughts arose in Ramani’s mind. She returned to her abode in the city of Caesarea.