भगवान आ रहे

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परमात्मा  हमारे जीवन के हर पल को आनंदित करते  है। जिस दिन हमे यह अहसास होता है कि परमात्मा मेरे साथ है परमात्मा मुझे देख रहा है। हमारे हर कार्य करने के नियम भी बदल जाते हैं। हम कहीं भी अकेले नहीं है। क्योंकि परम पिता परमात्मा हर क्षण साथ है। मै चलती हूं। तब मै अकेली नहीं चलती मेरा परमात्मा मेरे साथ चलता है। भगवान ने जीवन में कितने रगं भरे हुए हैं यह ये दिल ही जानता है। एक व्यक्ति से हम कुछ समय बात करते हैं और फिर चुप हो जाते हैं। भगवान से हम कितने ही समय भाव विभोर हो बात करते हैं आनंद बढता जाता है संसारिक सम्बन्ध सब कुछ होते हुए सम्बन्धों को निभाते हुए मै साथ में प्रभु भगवान मे डुब जाती हूं शरीर रूप से गोण हो जाता हैं। क्योंकि बार बार दिल ही दिल में परमतत्व परमात्मा का बन जाना एक आनंदीत अनुभुति है। ऐसी परिस्थिति में हमारा हर वस्तु विशेष मे प्रभु प्राण नाथ परम पिता परमात्मा के साथ सम्बन्ध बन जाता है। दिल मे प्रभु का चिन्तन चल रहा है। हर ध्वनि में राम नाम उजागर हो जाता है। भक्त सब्जी बना रहा है भगवान का सिमरन कर रहा है हाथ से सब्जी में चम्मच चल रहा है भगवान के भाव में ढुब जाता है हर ध्वनि नाम ध्वनि बन जाती है। न सब्जी है न चम्मच है सब मे परम तत्व परमात्मा की झलक दिखती है। राम राम राम राम फिर सब्जी को देखता है फिर भगवान को नमन और वन्दन करता है दिल पुछता है भोजन किस के लिए बन रहा है अन्तर्मन से आवाज आती है भगवान के लिए भोजन बन रहा है अन्तर्मन मे ऐसा लगता है आज ऋषि मुनि भोजन करने आएगे। कई बार जब पुकार गहरी हो जाती है तब ऐसे लगता मानो ऋषि मुनि सन्त महात्मा आज भोजन करने आऐ है। भक्त आनंद मगन अन्तर्मन से प्रभु प्राण नाथ का बन भगवान के सामने अन्तर्मन से नृत्य करते हुए भोजन बना रहा है दिल मे समर्पित भाव आ जाता है। भाव विभोर हो भोजन को प्रेम से बनाने लगती हूँ। आज भगवान भोग लगाएगे। आज मेरे भगवान आ रहे हैं दिल में सेज सजा लेना फिर रोटी बनाते बनाते अपने प्रभु का बन जाता है। भक्त अपने दिल में प्रभु प्राण नाथ को बिठाकर अपने स्वामी के चरणों में नतमस्तक भी है और भाव की गहराई है।  घर के एक एक कार्यक्रम में मै अपने प्रभु स्वामी भगवान् नाथ के साथ जुड़ जाती हूं।  एक अद्भूत प्रकाश की किरणें चारों तरफ होती है सब चीज प्रकाशित है। भगवान भी स्पर्श भाव को दर्शा जाते है। दिल मे आनंद की एक लहर उठती है मै मै रहती ही नहीं सब कुछ प्रभु रुप हो जाता है।इस मै मे परम तत्व परमात्मा समा जाते हैं
   जय श्री राम
अनीता गर्ग



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